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आलंबन-आत्मानंद सभाए छपावेली कल्पकिरगावली, कपडवणन शेठ श्रीमीठाभाई गुलाबचंदना भंडारनी हस्तलिखीत प्रत, तेमज वीरविजयना उपाश्रयना भंडारनी हस्तलिखीत प्रतोनो आधार लीधो छे. आनी अंदर चौद स्वप्नमां जे श्लोक एकेक आव्यो छे ते हस्तलिखीत प्रतोना आधारे आप्यो छे.
सुबोधिकामां आचेलक्यना विषयमा जे प्ररूपणा करी छे ते आचेलक अने आचेलक्य ए बेनो समन्वय न करतां लाइन खोटी दोराइ गइ छे. तेना विशेषार्थीए आगमोद्धारक ग्रन्थमाला तरफथी छपायेल आगमोद्धारक कृति संदोह भाग १ लानी कृति नंबर १४ "आचेलक्य" जे आगमोद्धारकश्रीन रचेलं छे ते वांचवा अमे भलामण करीए छीए.
आ टीकामां जे चिन्हो जुदी जुदी रीते आपेला छे ते कल्पकिरणावली अने सुबोधेिकानो समन्वय करनार छे, एटले वाचकने एमां कोइ गरबड आवशे नहि. आनी नवेसर प्रेस कोपी करवानो प्रयत्न पं० श्रीलाभसागरजी म. जे कर्यो छे. सुबोधिकानी अंदर नव व्याख्यानोनां विभाग करेला होबाथी आमां पण तेने लक्ष्यमा राखीने नव व्याख्यानो करेला छे.
बन्ने ग्रन्थमालाना प्रयत्नोथी अमे आ कल्पकिरणावली टीका बहार पाडवा प्रयत्न कर्यो छे. आमां कंड क्षति होय तो 8 सुधारीने वांचे एवी आशा राखीए छीए.
सम्पादको:- आचार्य सूर्योदयसागरसूरिजी
पं० लाभसागरजी
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