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________________ Jain Education निर्वाण, तिवारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एक लाख क्रोड सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तिवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ४ ॥ श्रीसंभवनाथना निर्वाण पछी दश लाख कोडी सागरोपमें श्रीअभिनंदन निर्वाण, तिवारपछी त्रण वर्ष साडाआठ मास, बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एवा दश लाख कोडी सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ३ | श्री अजितनाथना निर्वाणथी त्रीस लाख कोडि सागरोपमें श्रीसंभवनाथ निर्वाण, तेवारपछी त्रण वर्ष साडाआठ मास तथा बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एवा वीश लाख कोडी सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि २ । श्रीऋषभना निर्वाणथी पचास लाख कोडि सागरोपमें श्रीअजित निर्वाण, तेवारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास बेंतालीस हजार वर्ष ओछां एवा पचास लाख क्रोड सागरोपमें श्रीमहावीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि १ ॥ अथास्यामवसर्पिण्यां प्रथमधर्मप्रवर्त्तकत्वेन परमोपकारित्वात् किञ्चिद्विस्तरतः श्रीऋषभदेवचरित्रं प्रस्तौति( तेणं कालेणं) तस्मिन् काले ( तेणं समएणं ) तस्मिन् समये (उसभे णं अरहा) ऋषभः अर्हन् कीदृश: ?( कोसलिए ) कोशलायां-अयोध्यायां जातः कौशलिकः ( चउउत्तरासाढे अभीइपंचमे हुत्था ) चतुर्षु उत्तराषाढा यस्य स चतुरुत्तराषाढः अभिजिन्नक्षत्रे पञ्चमं कल्याणकं अभवत् ॥ ( २०४ ) ॥ For Private & Personal Use Only श्रीजिनानां पुस्तकलि खनस्य चान्तराणि ५ १० १३ ww.jainelibrary.org
SR No.600078
Book TitleSubodhikakhya vruttiyutama
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1923
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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