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१० जिनाः अंतरेषु (२१ तः १२ यावत् )
श्रीजिनानामन्तराणि
+ सेसं जहामल्लिस्स॥१९३॥१३॥
वासुपुजस्स णं अरहओ हूँ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स छाया
लीसं सागरोवमाई विइकंताई पन्नटुिं च, सेसं जहा मल्लिस्स हूँ॥ १९४ ॥ १२॥
सिजंसस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे साग* रोवमसए विइक्कंते पन्नटुिं च, हूँ सेसंजहा मल्लिस्स॥१९५॥११॥
सीअलस्स णं अरहओ जाव ।
faadla यसमावस्या शमसंबच हन्ना
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