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कल्प०
बारसा
॥ ५२ ॥
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वीरो निबुओ, तओ पर नव वाससया विइक्कंता दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे | संवच्छरे काले गच्छइ । एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दट्ठवं ॥ १८८ ॥ १८ ॥ कुंथुस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विइकंते पंचसट्ठि वाससयसहस्सा, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १८९ ॥ १७॥
संतिस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइकंते पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९० ॥ १६ ॥
धम्मस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स तिष्णि सागरोवमाई विइक्ताई पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९१ ॥ १५ ॥
अणंतस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइक्कंताईं पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९२ ॥ १४ ॥
विमलस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाइं विइक्कताई पन्नट्ठि च,
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श्रीजिना
नामन्त
राणि
॥ ५२ ॥
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