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________________ कल्प ॥ ५३॥ सबदुक्खप्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं श्रीजिनाधारसा ऊणिआ विइक्वंता, एयंमि समए वीरो निवुओ, तओऽविय णं परं नव वाससयाई विइक्वंताई, नामन्त राणि 15 दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १९६॥ १०॥ सुविहिस्स णं अरहओ पुप्फदंतस्स जाव सवदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडीओ है विइक्वंताओ, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवासअनवमासाहिअबायालीसवाससहकस्सेहिं ऊणिआ विइक्कंता इच्चाइ ॥ १९७॥९॥ - चंदप्पहस्सणं अरहओ जाव पहीणस्स एगं सागरोवमकोडिसयं विइक्वंतं, सेसं जहा सीअ-12 लस्स, तं च इमं-तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणगमिच्चाइ॥१९८॥८॥ सुपासस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसहस्से विइक्कंते सेसं ॥१३॥ जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवासअघनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ है इच्चाइ ॥ १९९॥७॥ १ऊणिआई विइकंताई इच्चाइअं (क० सु०) Jan Education Inter For Private Personal Use Only G w .jainelibrary.org
SR No.600077
Book TitleKalpasutram Barsasutram Sachitram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMeghsuriji
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1933
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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