________________
POXXXOXOXOXOXOXOXOXOXOX
तत्र तावत्तेजोजीवानाह
तेजस्कायदुविहा तेउजीवा उ, सुहमा बायरा तहा। पजत्तमपजत्ता, एवमेव दुहा पुणो ॥ १४८१ ॥ बायरा जे उर स्वरूपम् पज्जत्ता, णेगहा ते वियाहिया । इंगाले मम्मुरे अगणी, अचिं जाला तहेव ॥१४८२ ॥ उका विजू य बोव्वा, णेगहा एवमायओ। एगविहमनाणत्ता, सुहुमा ते वियाहिया ॥१४८३ ॥ सुहुमा सव्वलोगंमि, लोगदेसे (प्र० एगदेसंमि) य बायरा । इत्तो काल०॥१४८४॥ संतई पप्पऽणाईया०॥१४८५॥ तिन्नेव अहोरत्ता, उक्कोसेण वियाहिया । आउठिई तेऊणं, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ॥ १४८६ ॥ असंखकालमुकोसा, अंतो मुहत्तं जहन्नयं । कायठिई तेऊणं, तं कायं तु अमुंचओ॥१४८७॥ अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विजÉमि सए काए, तेउजीवाण अंतरं ॥ १४८८ ॥ एएसि वन्नओ०॥१४८९॥
दुविहेत्यादिसूत्राणि नव प्रायः प्राग्वत् , नवरं, अङ्गारो-विगतधूमज्वालो दह्यमानेन्धनादिकः, मुर्मुरो-भस्ममिश्राग्निकणरूपः, अग्निः-इहोक्तभेदातिरिक्तो वह्निः, अर्चिः-मूलप्रतिबद्धा ज्वलनशिखा, दीपशिखा इत्यन्ये, ज्वाला-छिन्नमूला ज्वलनशिखैवेति सूत्रनवकार्थः ॥ १०८-११६ ॥ १४८१-८९॥
उक्तास्तेजोजीवाः, वायुजीवानाह
दुविहा वाउजीवा य, सुहुमा बायरा तहा । पज्जत्तमपजत्ता, एवमेव दुहा पुणो ॥ १४९० ।। बायरा जे उ* पज्जत्ता, पंचहा ते पकित्तिया। उक्कलियामंडलियाघणगुंजासुद्धवाया य॥१४९१ ॥ संवगवाए य, गहाx
KaXXXX8XOXOXOX8XOXXX
Jan E
OS
For Private & Personal use only