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________________ . उत्तराध्य. बृहद्भुत्तिः ॥४७॥ ARSAARCLEARCLEARS मंगं च पीडई। इंदासणिसमा घोरा, वेयणा परमदारुणा ॥२१॥ उवट्ठिया मे आयरिया, विजामंतचिगि- महानिर्मच्छगा। अबीआ सत्थकुसला, मंतमूलविसारया ॥ २२ ॥ ते मे तिगिच्छं कुव्वंति, चाउप्पायं जहाहियं । न य मे दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाया ॥ २३ ॥ पिया मे सव्वसारंपि, दिजाहि मम कारणा । न्थीया० न य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाया ॥२४॥ माया (वि) मे महाराय, पुत्तसोगदुहद्दिया । न य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाहया ॥ २५ ॥ भायरा मे महाराय!, सगा जिट्टकणिट्ठगा। न य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाहया ॥ २६ ॥ भइणीओ मे महाराय!, सगा जिट्टकणिगान य दुक्खा विमोयंति, एसा मज्झ अणाहया ॥ २७॥ भारिया मे महाराय!, अणुरत्तमणुव्वया । अंसुपुन्नहिं नयणेहिं, उरं मे परि-5 सिंचई ॥ २८॥ अन्नं पाणं च पहाणं च, गंधमल्लविलेवणं । मए नायमनायं वा, सा बाला नोवभुजई ॥२९॥ खणंपि मे महाराय !, पासाओवि न फिट्टई । न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्झ अणाहया ॥ ३० ॥ तओह एवमाहंसु, दुक्खमा हु पुणो पुणो । वेयणा अणुहविडं जे, संसारंमि अणंतए ॥ ३१॥ सयं च जइ मुंचिजा, वेयणा विउला इओ। खंतो दंतो निरारंभो, पव्वइए अणगारियं ॥ ३२॥ एवं च चिंतइत्ता णं, पासुत्तो मि ॥४७४॥ नराहिवा!। परियत्तीइ राईए, वेयणा मे खयं गया ॥ ३३ ॥ तओ कल्ले पभायंमि, आउच्छित्ता ण बंधवे । खंतो दंतो निरारंभो, पवईओ अणगारियं ॥ ३४ ॥ तोऽहं नाहो जाओ, अप्पणो अ परस्स य । सव्वेसिं चेव भूयाणं, तसाणं थावराण य॥ ३५॥ Jain Educationa i nal For Privale & Personal use only MOnelibrary.org
SR No.600067
Book TitleUttaradhyayani Part_2
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages570
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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