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________________ उत्तराध्य. अध्ययनम् बृहद्धत्तिः ॥ ९ ॥ व्याख्या-निगदसिद्धाः । नवरमाभिरध्ययनविशेषनामान्युक्तानि, एतन्निरुक्त्यादि च नामनिष्पन्ननिक्षेपप्रस्ताव 1 एवाभिधास्यते ॥ अधिकारानाह पढमे विणओ बीए परिसहा दुल्लहंगया तइए । अहिगारो य चउत्थे होइ पमायप्पमाएत्ति ॥ १८॥ मरणविभत्ती पुण पंचमम्मि विज्जा चरणं च छटुअज्झयणे ।रसगेहिपरिच्चाओ सत्तमे अट्टमि अलाभे॥१९॥ निकंपया य नवमे दसमे अणुसासणोवमा भणिया । इकारसमे पूया तवरिद्धी चेव बारसमे॥२०॥ तेरसमे अ नियाणं अनियाणं चेव होइ चउदसमे। भिक्खुगुणा पन्नरसे सोलसमे बंभगुत्तीओ॥२१॥ पावाण वजणा खलु सत्तरसे भोगिड्डिविजहणटारे । एगुणि अप्परिकम्मे अणाहया चेव वीसइमे ॥२२॥ चरिया य विचित्ता इक्वीसि बावीसिमे थिरं चरणं । तेवीसइमे धम्मो चउवीसइमे य समिइओ॥२॥ बंभगुण पन्नवीसे सामायारी य होइ छबीसे । सत्तावीसे असढया अट्रावीसे य मुक्खगई ॥२४॥ ॥ एगुणतीस आवस्सगप्पमाओ तवो अ होइ तीसइमे । चरणं च इकतीसे बत्तीसिपमायठाणाइं ॥२५॥ ***SUSLAATISSA Jain Education International For Privale & Personal use only Khainelibrary.org
SR No.600066
Book TitleUttaradhyayani Part_1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size22 MB
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