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आवश्यकनिर्युक्तेरवचूर्णिः
सम्पादकीय
निवेदन
करवामां आवेल छे, ते मुजब वांचनारे प्रथम सुधारी लेवु. आटली काळजी राखवा छतां पण जे कई क्षतिओ मारा IN मतिमान्द्यादिना दोषे रहा जवा पामी होय तेने क्षन्तव्य गणी सुधारी लेवा विद्वद् जनोने मारी विनंति छे.
आ ग्रन्थ- सम्पादन जे केवळ ज्ञानभक्तिना हेतुथी करवामां आवेल छे ते हेतुने लक्ष्यमा राखी पूज्य साधु-साध्वी महाराजाओ आ ग्रन्थनुं पठन पाठन मनन करी चारित्रनी विशुद्ध आराधना करी परमपदना भागी बनो एज अभ्यर्थना.
मुक्तिद्वार जैन उपाश्रय दशा पोरवाड सोसायटी, अमदावाद नं. ७__ वि. सं. २०२१ फागण, शुक्ल पूर्णिमा ।
मानविजय
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