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आवश्यक
निर्युक्ते - रवचूर्णिः
॥ ५ ॥
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सम्पादकीय निवेदन
श्रीमद् आवश्यक निर्युक्ति अवचूर्णिना सम्पादननुं कार्य श्रेष्ठि देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंडना ट्रस्टीओ तरफथो मने सोपवामां आव्युं हतुं. ते ग्रन्थ विशालकाय होवाथी तेने बे भागमां प्रगट करवानुं नक्की करवामां आव्युं हतुं. त्यार पछी तेना प्रथम भागनुं सम्पादन कार्य पूर्ण थवाथी सदरहु संस्था तरफथी विक्रम संवत २०२१ मां सदर हु संस्था तरफथी प्रथम भाग प्रगट करवामां आव्यो. त्यार पछी एना बीजा भागनुं सम्पादन पूर्ण थयुं छे, अने ते पण आ संस्था तरफथी सीरीझ नं. १०८ तरीके प्रगट करवामां आवे छे.
प्रथम भागना सम्पादकीय निवेदनमां आ ग्रन्थनो प्रारम्भ, ईतिहास, ग्रन्थकार परिचय, हस्तलिखित प्रति परिचय विगेरे जणावेल होवाथी अत्रे कई विशेष जणावानुं नहि होवाथी तत्संबंधी कई पण लखेल नथी.
आ बीजा भागमां आवश्यक सूत्रना बोजा चतुर्विंशति अध्ययनथी छेला छडा पच्चक्खाण अध्ययन सुधीनी निर्युक्तिनी अवचूर्णि आपवामां आवी छे.
प्रथम भागनी जेम आ बीजा भागमां पण हस्तलिखित प्रतोना असंगत पाठोने सुधारीने आवा ( ) कोष्टकमां मुकेला छे अनेक पाठोने उमेरीने आवा [ ] कोष्टकमां मुकेला छे.
संशोधनमां पूरती काळजी राखवा छतां पण छपाईने आवेल फरमाओने फरी तपासतां दृष्टिदोषथी असावधानताथी मतिमान्द्यथा के प्रेसदोषथो रही गयेल क्षतिओनुं प्रमार्जन करी शुद्धि पत्रक तैयार करी आ साथे दाखल
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सम्पाद
कीय निवेदन
॥५॥
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