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________________ ॥ १० ॥ Jain Education International बगेरेना संपादननुं महान् कार्य तेओ घणा परिश्रमवडे करी रह्या हता. समय पण बीजा कार्यो माटे नहोतो तेम छतां हाथमां लधुं अने तेओ कृपाळुश्रीए आ ग्रंथमां आपेल प्रासंगिक विवेचनमां जणाव्या प्रमाणे आ ग्रंथनुं सुंदर संशोधन करी आ सभाने प्रकाशन कार्य सुप्रत कथुं, जे माटे विद्वान मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजनो आ सभा परम उपकार माने छे. कृपाळु श्री पुण्यविजयजी महाराजे आ कार्य हाथमां लेवाथी ज आ बीजुं पुस्तक आटला वखते पण प्रकाशन थवा पाम्युं छे. जे माटे सभा पोतानो आनंद व्यक्त करे छे. छापकाम, कागळो वगेरे तेना तमाम कार्योनी हजी सुधीनी सख्त वधती जती मोंघवारीने लइने आ ग्रंथमां घणो म्होटो खर्च थयो छे. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजनां उपदेशथी नीचे मुजब मदद मळी छे. जे माटे आ सभा अंतःकरणपूर्वक आभार माने छे. रु. २०००) श्री आत्मानंद जन्म शताब्दि बॉर्ड मुंबई. रु. १०००) श्री गुजरानवाला ( पंजाब ) जैन संघ. रु. ५०१ ) शाह प्रेमचंद मणिलालनी विधवा बाई मणिव्हेन पाटण. रु. ३५०१) उक्त त्रणे सहायकोने खरा अंतःकरणथी धन्यवाद आपवामां आवे छे. श्री आत्मानंद भवन - भावनगर. धनतेरस सं. २००६ गांधी वल्लभदास त्रिभुवनदास. ( साहित्य भूषण. ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600062
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charita Mahakavyam_02
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorCharanvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1950
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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