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निवेदन।
प्रथमपर्वना IDIबधी निपुणताथी रच्यो छे अने काव्यनी चमत्कृति, भाषानी शैली अने सुंदरता एटली बधी उच्च अने प्रकाशकर्नु
|मधुर छे के आ चरित्रग्रंथ बधा चरित्रोमा सौथी प्रथम स्थान भोगवे छे. ॥१॥
| व्याख्यान माटे, संस्कृत भाषाना अभ्यासीओ माटे, कथाना रसिको माटे अने पठन पाठन माटे आएटलो
वधो उपयोगी ग्रंथ छे के जेनी आ अगाउ अन्य तरफथी आवृत्तिओ प्रगट थयेली होवा छतां तेनी हजुपण हामांगणी वधती जती चालु रहेली होवाथी अने अगाउ प्रकट थयेल आवृत्तिओमां अनेक अशुद्धिओ
होवाथी फरीने तेनुं संशोधन घणाज परिश्रमथी करवामां आवेल छे अने उंचा कागळो उपर सुंदर टाइपथी। मुंबइमां श्रीनिर्णयसागर प्रेसमा प्रत अने बुकाकारे छपावी सुंदर बाइन्डींगथी अलंकृत करवामां आवेल छे.
पूज्यपाद आचार्य श्रीविजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजनी आज्ञाथी स्थापन थयेल श्रीजैनआत्मानंद-शताब्दि सीरीझना सातमा नंबर तरीके प्रस्तुत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्यनो आ प्रथम विभाग ( संपूर्ण दशपर्व पैकीनुं ) प्रथम पर्व प्रगट करीओ छिए.
प्रस्तुत प्रथम पर्वमां न्यायांभोनिधि जैनाचार्य श्रीमद्विजयानंदसूरीश्वर प्रसिद्ध नाम श्रीआत्मारामजी महाराजना पट्टधर पूज्यपाद आचार्य श्रीविजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजना उपदेशथी। धांगध्रानिवासी धर्मात्मा श्रावक श्रीयुत परसोत्तम सुरचंदनी धर्मपत्नी अखंड सौभाग्यवती सुश्राविका श्रीमती पूरी बहेने योग्य सहायता आपी छे. तेमज नवसारी श्रीपार्श्वनाथ भगवाननी पेढीना ज्ञानखाता तरफथी रु. ५००) सोनी मदद तेना कार्यवाहको तरफथी मळी छे. उक्त बन्ने साहाय्यकोने खरा अंतःकरणथी साभार धन्यवाद आपवामां आवे छे.
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