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________________ अनुयो० मलधा वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वार रीया ॥१९२॥ गमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणाफुण्णा वा तओणंसमए २ एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव णिट्टिए भवइ, से तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे । तत्थ णं चोअए पण्णवर्ग एवं वयासी-अस्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणाफुण्णा ?, हंता अस्थि, जहा को दिटुंतो?, से जहाणामए कोट्टए सिआ कोहंडाणं भरिए तत्थणं माउलिंगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं आमलगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बयरा प० तेऽवि माया, तत्थ णं चणगा पक्खित्ता तेऽवि माया, तत्थ णं मुग्गा पक्खि० तत्थ णं सरिसवा प०, तत्थ णं गंगावालुआ पक्खित्ता सावि माया, एवमेव एएणं दिटुंतेणं अत्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणाफुण्णा। एएसिं ॥ १९२॥ in Education For Private & Personel Use Only Maw.jainelibrary.org
SR No.600060
Book TitleAnuyogadwarasutram Uttarardham
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size23 MB
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