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वृत्तिः
अनुयो. मलधारीया
उपक्रमे प्रमाणद्वारं
॥१६२॥
हिआ इ वा सण्हसहिआ इ वा उड्ढरेणू इ वा तसरेणू इ वा रहरेणू इ वा, अट्ठ उसण्हसण्हिआओ सा एगा सण्हसण्हिआ, अट्ठ सहसण्हिआओ सा एगा उड्ढरेणू, अट्ट उड्डरेणुओ सा एगा तसरेणू, अट्ट तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआण वालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट हरिवस्सरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट हेमवयहेरएणवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ, अट्ठ जूआओ एगे जवमझे, अट्ठ जवमझे से एगे अंगुले । एएणं अंगुलाणपमाणेणं छ अंगुलाई पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चउवीसं अंगुलाई र
॥॥१६
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