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श्री अध्या.
धनवि. रत. वृत्ती.
किञ्चिद्वक्तव्य
॥२५॥
१५.
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प्रन्थ-विषयादि संबंधे विस्तृत अने उपयोगी आलेखन करी आपवा, अध्यात्मकल्पद्रुमने सचोट अने सुन्दर रीते गुजराती भाषामां मूकनार श्रीयुत मोतीचंद गिरधरलाल कापडीआ सोलिसिटर मुंबई, तथा अन्धकार भगवान् मुनिसुन्दरसूरि अने बन्ने टीकाकारो श्रीमान् धनविजयजी गणि तथा श्रीमद् रत्नचंद्रजी गणि संबंधे शोधनपूर्ण विस्तारथी गूजरातीमा लेख लखी आपवा इतिहासप्रेमी श्रीयुत मोहनलाल दलीचंद देशाई बी. ए., एल एल्. बी. एडवोकेट हाईकोर्ट मुंबई, एमनां वचनो मळेला होवाथी तत् संबंधे विशेष लखवु उचित धारतो नथी. वचनो मुजब बन्ने महाशयोना विद्वत्तापूर्ण लेखो बद्दल अमो तेमनो आभार स्वीकारीए छीए. ___ आ पन्थना संशोधनकार्य माटे आगमोद्धारक आगमव्याख्याप्रज्ञ साक्षरशिरोमणि आचार्यप्रवर श्रीमद् आनन्दसागरजी सूरीश्वरना | हुँ तथा श्रीमान ट्रस्टीवर्यो अहर्निश ऋणी छीए, के जेमनां कृपादृष्टि अने परिश्रमवडे ९० प्रन्थो बहार पाडवा शक्तिमान् थया छीए.
शेठ दे० ला. जैन पुस्तकोद्धार फंडना उद्भवनो सामान्य इतिहास अत्रे आपवो योग्य लेखु छु:
जेमनी स्मृतिने अर्थे आ फंड स्थापवामां आव्युं छे ते शेठ देवचंदलालभाई जवेरीए पोताना मृत्युपत्रमा रू. १००००० (एक लाख)नी रकम विलथी जाहेर करी निराली तपशील मुजब नीचे प्रमाणे शुभकार्योमा खर्चवा माटे पोताना टूस्टीओने फरमाव्यु हतुं. २०००० जूनां दहेरासरोनो जीर्णोद्धार करवामां. ( आ रकम शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढी मारफते, ए पेढीनी पण
एटली ज रकम उमेरावीने राणकपुरजीना धन्नाशाह पोरवाडना जगप्रसिद्ध 'त्रैलोक्यदीपक' दहेरासरना जीर्णोद्धारमा शेठ देवचंदना ट्रस्टीओए भाईश्री गुलाबचंदनी देखरेख नीचे खरचेल छे. वि० सं० १९७१।७२ लगभग)
CAKACEAESAR