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________________ GPX विनये भावकधर्म-I पश्चाशक चूर्णिः पुष्पशाल सुतः, विभंगे शिवराजर्षिय 4%ASTEACHEREOGI समोसरिओ, कयपुण्णओ सामि बंदिऊण पुच्छति-अपणो संपत्ति विपत्तिं च, भगवया कहियं पायसदाणं, संवेगेण पवइओ, एवं दाणेण सामाइयं लम्मति । (४) तहा विणयाराहगो जीवो सम्मत्ताइ पावेइ, जहा-पुप्फसालसुएणं, कहाणगं इम-मगहाविसए गोबरगामे पुष्फसालो नाम गाहावती, भद्दा भारिया, पुत्तो सिं पुप्फसालसुतो, सो मायापितरं पुच्छति-को धम्मो?, तेहिं भण्णइ-मायापियरं सुस्मूसियत्वं-"दो चेव देवयाई, माया पियरो य जीवलोगमि । तत्थवि पिया विसिट्टो जस्स वसे वट्टई माया ॥१॥" सो ताणं पायमुहधोवणादिविभासो, देवयाणिव सुस्सूसति, अन्नया गामभोइओ समागओ, ताणि संभंताणि पाहुण्णं करेंति, सो चिंतेति-एयाणवि एस देवयं, एवं पूएमि तो धम्मो होहिति, तस्स सुस्मूसा पकआ, अण्णया तस्स भोइओ, तस्सवि अण्णो, जाव सेणियं रायाण ओलग्गिउमारद्धो, सामी समोसढो, सेणिओ इड्डीए गंतूण वंदति, ताहे सो सामि भणति-अहं तुझे ओलग्गामि ?, सामिणा भणियं-अहं रयहरणपडिग्गहमत्तएण ओलग्गिजामि, ताण सुणणाए संबुद्धो, एवं विणएण सामाइयं लब्भइ । (५) तहा लद्धविभंगनाणो जीवो लहइ, जहा-तावससिवरायरिसिणा लद्धं, भावत्थो इमाओ कहाणगाओ नेओ, जहा-अस्थि मगहाजणवए सिवो राया, तस्स धणधण्णहिरण्णादि पइदियहं वड्डति, चिंता जाया-अस्थि धम्मफलंति, तो महं हिरण्णादि वड्ढतित्ति, तो पुण्णं करेमित्ति कलिऊणं भोयणं कारियं, दाणं च णेण दिण्णं, ततो पुत्तं रजे ठविऊणं सकयतंबमयभिक्खाभायणकडुच्छुगोवगरणो दिसापोक्खियतावसाण मज्झे तावसो जातो, छट्ठमाउ परिसडियपंड्डपत्ताणि आणेऊण आहारेति, एवं से चिट्ठमाणस्स कालेण विभंगनाणमुप्पन्नं संखेजदीवसमुद्दविसर्य, ततो नगरमागंतूण जहोवलद्धे पण्णवेति, अण्णया साहवो AAAAAA5 ३८॥ JainEducaEORIA For Private Personel Use Only llww.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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