SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ " आवकधर्म दाने कृतपुण्य: 16 भजा से संभमेण उट्ठिया, संबलगं गहियं, पविट्ठो अभंगाईणि करेइ, पुत्तो य से तदा गम्भिणीए जाओ, सो एक्कारसपञ्चाशक- वरिसो जाओ लेइसालाउ आगओ, रोबइ-देहि मे मत्तं मा उज्झाएण हम्मिहामित्ति, ताए ताओ संबलथइयाउ मोयगो दिनो, चूर्णिः । णिग्गओ खायंतो, तत्थ रयणं पासति, लेहचेडएहि दिटुं, तेहिं कंचुय(पुविय )स्स दिन्नं, दिणे दिणे अम्ह पोलियाओ देहिइ, सोवि मोयगे भिंदति, तेण दिट्ठाणि, भणति-संकभएण कयाणि, तेहिं रयणेहिं तहेव पवित्थरिओ, सेयणओ गंधहत्थी णईए तंतुएण गहिओ, राया आदनो, अमओ भणति-जइ जलकतो अत्थि तो छईति, सो राउले अइबहुयत्तणेण रयणाणं चिरेण लभिहितित्तिकाऊण पडहओ निप्फेडिओ-जो जलकंतं देति, तस्स राया रजं अद्धं धूयं च देइ, ताहे पूइएण दिण्णो, णीओ, उदगं, पयासियं, तंतुओ जाणइ-थलं णीओ, मुक्को णट्ठो, राया चिंतेइ कओ पूइयस्स', पुच्छइ-कओ एस तुज्झत्ति ? निबंधे सिटुं कयपुण्ण गपुत्तेण दिण्णो, राया तुट्ठो, कस्स अन्नस्स होहिति ? रण्णा सद्दाविऊण कयपुण्णओ धूयाए विवाहिओ, विसओ दिण्णो, भोगे भुंजति, गणियावि आगया भणति-एचिरं कालं अहं वेणीबंधेण अच्छिया, सवत्थ तुमं गवेसाविओ, एत्थ दिट्ठोसि, कयपुण्णओ अभयं भणति-एत्थ मम चत्तारि महिलाओ तं च घरं न याणामि, ताहे काइयघरं कयं, लेप्पगजक्खो कयपुण्णगसरिसो कओ, दो य बाराणि कयाणि, एगेण पर्वसो एगेण णिप्फेडो, तत्थ अभओ कय पुण्णओ य एगत्थ बारम्भासे आसणवरगया अच्छंति, कोमुई आणत्ता, जहा पडिमप्पवेसो अच्चणियं करेह, नयरे घोसियं-सबमहिलाहिं गंतवं, लोगोवि एति, ताओवि आगयाओ, चेडरूवगा(वाणि)णि बप्पोत्ति उच्छंगे निविसंति, णायाओ, तेण थेरी अंबाडिया, ताओवि आणावियाओ, भोगे झुंजति सत्तहिवि सहिओ, बद्धमाणसामी Catest* % ARCRAY % ॥३७॥ % Jain Education imational For Private & Personel Use Only Il www.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy