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________________ Sae श्रावकधर्म- पश्चाशकचूर्णिः। ॥ ३२॥ %A5 O COCCirect %A4%AC%EOCOCCCC% साणि मंतेति ?, अहं पि वंचिओ णाए, णत्थि सइत्तणं धुत्तीए, जाव चिंतेति ताव निफिडिया, ताहे सो थेरो सवेण लोगेण 8| मेण्ठः हीलिओ, तस्स ताए अधिइए निदा णट्ठा, ताहे रण्णो तं कण्णे गयं, रायाणएण अंतेउरपालओ कओ, आभिसेयं च हत्थिरयण रण्णो वासघरस्स हेट्ठा बद्धं अच्छति, देवी य हस्थिमेंठेण आसत्तिया, नवरं रति हस्थिणा हत्थो पसारिओ, ओलोयाओ ओयारिया, पुणरवि पभाए पडिविलइया, एवं वच्चति कालो, अन्नया चिरजायंति हत्थिमेंठेण संकलाए आया, सा भणतिसो एरिसो ण सुवइ, मा रूसह, तं थेरो पेच्छति, सो चिंतेति-जदि एयाउवि एवं किं नु ताओ भद्दियाउत्ति सुत्तो, पभाए सबो लोगो उढिओ, सो ण उद्वेति, राया भगइ-सुवउ, सत्तमि दिवसे उढिओ, राइणा पुच्छिओ, कहियं जहेगा देवी ण याणामि कयरत्ति, ताहे राइणा भिंडमओ हत्थी कारिओ, सवाउ अंतेउरियाओ भणियाउ-एयस्स अच्चणियं करेत्ता उलंडेह, सबाहिं उलंडिओ, सा णेच्छति, भणइ-बीहेमि, ताहे राइणा उप्पलनालेण आहया, जाच मुच्छिया पडिया, ताहे से उवगयं जहेमा दोसकारिणित्ति, भणिया-"मत्तगयमारुहंतीए भिंडमयस्स गयस्स भयंतीए । इह मुच्छिय उप्पलाहया तत्थ ण मुच्छिय संकलाहया ॥१॥" पुट्ठी से जोइया, जाव संकलप्पहारा दिट्ठा, ताहे गइणा हत्थिमेंठो सा य तंमि हथिमि विल ग्गाविऊणं छिण्णटंकए विलग्गावियाणि, भणिओ य मेंठो-इहं अप्पततिओवि गिरिप्पवायं देहि, हथिस्स दोहिवि पासेहिं | वेलुग्गाहा ठविया, जाव हत्थिणा एगो पाओ आगासे कओ, लोओ भणति-किं तिरिओ जाणति ?, एयाणि मारियवाणि, तहावि राया रोसंपि न मुयति, तओ दो पाया आगासे, तईयवाराए तिणि पाया आगासे, एकेण पाएण ठिओ, | लोयाण अकंदो कओ, किं एवं हत्थिरयणं विणासेहि, रणो चित्वं वलियं, भणिओ-तरसि णीयचेउं ?, भणइ-जइ अभयं का॥३२॥ RECCHOCT Jain Education inte For Private Personal Use Only Mw.ainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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