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________________ आवकधर्मपश्चाशकचूर्णिः । S5I0RRBASIC%E जं सा अहिगयराओ कम्मखओवसमओ न य तओ(गो)वि। स्व तमजनाहोइ परिणामभेया लहुंति तम्हा इहं भयणा ॥ ५॥ ज-जेण कारणेण, सा-बयपडिवत्ती, अहिययराओ कम्मखओवसमओत्ति-अहिययराओ सम्मत्तलाभनिमित्तकम्मखओवसमावेक्खाए बहुतरगाओ कम्मखओवसमाओ, चरि-त्तमोहणीयकम्मखओवसमाउ होइ, नणु सम्मत्तलाभावसरे चेव चारित्तमोहणीयकम्मखओवसमो कम्हा न भवइ ?, भण्णइ-न य तगोवित्ति-नगारो पडिसेहे, चकारो अवधारणे, तगोचारित्तमोहणीयकम्मखओवसमो, जंमि चेव काले सम्मत्त्पडिवत्तिहेऊ कम्मखओवसमो होइ, न तंमि चेव चरणपडिवत्तिहेऊवि, कम्हा पुण एवं ?, भण्णइ-परिणामभेयत्ति, तहाभवत्तनिबंधणजीवज्झवसायविसेसाओ विसिछतरपरिणामेणं चारित्तमोहणीयकम्मखओवसमो होइत्ति भावत्थो । लहुंतित्ति-सिग्धमेव, सम्मत्तकारणकम्मखओवसमाणतरमेवेत्यर्थः, तम्हा-तेण कारणेण इह-वयपडिवत्तीए, भयणा-वियप्पणा, सुस्सूसाइसु पुण नियमो, जइवि गंठिभेयाउ चेव सम्मत्तमुपजइ तत्थ य वयपडिवत्तिमेव पहाणयरं मन्नइ, तहावि जावइयाए कम्मगंठीए भिजमाणीए सम्मत्तलाभो होइ न तावइयाए चेव वयपडि-18 वत्तीऽवि भावओ भवइत्ति ॥ ५॥ एयं चेव भणइसम्मा पलियपुहुत्ते वगए कम्माण भावओ होति । वयपभिईणि भवन्नवतरंडतुल्लाणि नियमेण ॥६॥ सम्मत्ति-'सूयगं सुत्तति नायओ सम्मत्तलाभाओ, पलियपुहुत्ते पलिओवमाण-आगमपसिद्धाण कालपरिमाणविसेस IV॥ ७ ॥ Jan Education Inten For Private Personel Use Only
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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