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________________ आवकधर्मपश्चाशकचूर्णिः । सामायिकस्य विधिः १९४॥ AAAAAAA% य वावारं न करेति, तया सघरे चेव सामाइयं काऊग उवाहणाउ मुत्तूणं सच्चित्तदवरहिओ वच्चइ, पंचसमिओ तिगुत्तो इरियाए संजुत्तो जहा साहू, भासाए सावजं परिहरंतो, एसणाए कटुं वा लेटुं वा अणुण्णविऊण पडिलेहित्तु गेण्हतो, एवं आयाणे निक्खेवे य, तहा खेलसिंघाणाईणि न विगिंचइ, विगिंचितो य थंडिलं पडिलेहेइ पमजइ य, जत्थ अच्छइ तत्थ गुत्तिनिरोहं करेइ, एएण विहिणा गंतूण तिविहेण साहूणो नमिऊण सामाइयं करेइ-"करेमि भंते ! सामाइयं सावजं जोगं पच्चक्खामि जाव साहूणो पज्जुवासामि दुविहं तिविहेण," एवमाइ उच्चरिऊण, ततो इरियावहियाए पडिकमइ पच्छा आलोइत्ता बंदइ आयरियाई जहा राइणियाए, पुणरवि गुरुं वंदित्ता पडिलेहित्ता निविट्ठो पुच्छइ पढइ वा, एवं चेयहरेसुवि । असइ साहु चेइयाणं पोसहसालाए सगिहे वा सामाइयं वा आवस्सयं वा करेइ, तत्थ नवरि गमणं नत्थि, भणइ जाव नियम समाणेमि । जो पुण इड्विपत्तो सो सबरिद्धीए जाइ, तेण जणस्स अत्था होइ आदर इत्यर्थः, आढिया य साहुणो सुपुरिसपरिग्गहेणं भवंति, जइ पुण सो कयसामाइओ एइ, तया आसहत्थिमाईहिं अहिगरणं होजा, तं पुण न वहइ काउंति, अओ न करेइ, तहा 'कयसामाइएण पाएहिं गंतवं' तेण न करेइ, आगओ चेव साहुसमीवे करेइ, तहा जइ सो सावगो तया तस्स न कोइ अभुढेइ, अह अहाभद्दओ तया पूया कया होउत्ति पुवरइयं आसणं कीरइ, आयरिया य उढिया चेव अच्छंति, मा उठाणाणुठाणकया दोसा भवेजा, पच्छा सो इड्डिपत्तो सावगो सामाइयं करेइ, कहं ?, “करेमि भंते ! सामाइयं सावजं जोगं पच्चक्खामि दुविहं तिविहेणं जाव नियम पज्जुवासामि" एवमाइ, एवं सामाइयं काऊण इरियं पडिकतो वन्दित्ता पुच्छह वा | पढइ वा, सो य किर सामाइयं करेंतो मउडं कुडलाई नाममुदं च अवणेइ, पुप्फतंबोलपावारगाइयं च वोसिरह," अन्ने J॥९४ ॥ Jain Education For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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