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________________ कर्मतो द्वितीयगुणव्रतस्य पश्चदशातीचाराः श्रावकधर्म-है सच्चिताहारो १ सञ्चित्तपडिबद्धाहारो २, एए पढमा दोनिवि अइयारा सचेयणकंदफलाइविसया, अप्पउलिओसहिमक्खणं पश्चाशक- दुप्पउलिओसहिभक्खणं तुच्छोसहिभक्खणं च, एए तिन्निवि अइयारा सालिगोहुमादिसचित्तोसहिविसया ददुवा, तत्थ चूर्णिः दोण्हं भावणा भणिया, अप्पउलिओसहिभक्खणं पुण अणाभोगअइक्कमाईहिं अइयारो, अहवा कणिकाइ दत्वं सचित्तावयव मीसंपि पिट्ठत्ताइणा पगारेण अचित्तभेयंति नियबुद्धीए विगप्पिय भक्खेंतस्स वयसावेक्खस्स अइयारो होइ । दुप्पउलिओसहिभक्खणं पुण जवगोहुमचणगपिहुगाइधन्नस्स दुप्पक्कयाए सचित्तावयवसंभवेण मिस्सस्स पक्कत्ताओ य अचेयणमेयंति एवंविहबुद्धीए भुजंतस्स अइयारो । तुच्छोसहिभक्खणं पुण कोमलमुग्गाइफलीओ विसिट्ठतित्तिअजणगाओ तुच्छाओ सचित्ताओ चेव अणाभोगअइकमाईहिं भुजंतस्स अइयारो, अहवा अचंतपावभीरुययाए सच्चित्ताहारपरिहारो को तत्थ य जं तित्तिजणगं सचित्तं तं पिराहेऊणंपि भक्खेउ, सचित्ताहारपरिवजणस्स चेव अब्भुवगमाउ, जं पुण तित्तिजणणअसमत्थाओवि ओसहीओ लोलुययाए अचित्तीकाऊण भुजेइ, एवं तुच्छोसहिमक्खणं अइयारो, जओ तत्थ भावओ विरती विराहिया, दवओ पुण पालियत्ति । एवं राइभोयणमहुमज्जमसाइबएसुवि आणाभोगअइक्कमाईहिं अइयारा भावेयवा । संपयं कम्मव्वयाइयारा भन्नति-वजह कम्मयओऽवित्ति वजइ-परिहरइ, कम्मयओ-कम्मवयमासज्ज, एत्थंति भोयणउवभोगवए सचित्तभक्खणाईणि पंच वजेइ, कम्मयओ पुण इत्थ बीयगुणवए अंगारकम्माईणि वजेइ, कम्मओ बीयगुणवए पनरस अइयारा भवंति, जओ भणियं "इंगाले १ वणसाडी ३ भाडी ४ फोडीसु ५ वजए कम्मं । वाणिज्जं चेव दंत १ लक्ख २ रस ३ केस CHOCHOCOCCASISASRAEBARECTOR-50 ॥८६॥ JainEducationH ona For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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