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________________ PC पञ्चाशकचूर्णिः । ॥७९॥ अइयारो होइ । जहा किर एक चेव मम खेत्तं वत्थू वा एवंविहअभिग्गहसहियस्स अहिगखेत्ताभिलासे अहिगवत्थुअभिलासे है पञ्चमाणुवा वयभंगभएणं पुबगहियखेत्तस्स वा घरस्स वा समीवे अन्नं खेत्तं घरं वा गहेऊणं पच्छा पुवगहिएण सह अभिणवगहियस्स व्रतस्य एगत्तकरणनिमित्तं वाडिवरंडगाइअवगयणेण अभिणवं पुविल्ले जोयंतस्स वयसावेक्खत्तणेण किंचि विरइविराहणेण य अइ- अतीचाराः यारो १, तथा हिरण-रूप्पं आइसद्दाउ सुवनं घेप्पइ, एएसिं परिमाणस्स पयाणेण-दाणेण अइक्कमो-अइयारो होइ, तंजहाकेणवि चाउम्मासाइअवहिणा हिरनसुवनपरिमाणं गहियं तत्थ य तेण सावएण परितुट्ठराइणो अन्नस वा कस्सवि सगासाउ परिमाणाहिगं हिरन्नाइ लद्धं, तं पुण वयभंगभएणं अन्नस्स देइ, अवहीए पुण्णाए गिहिस्सामि एवंविहभावणाए वयसा. वेक्खस्स अइयारो २, तहा धणं-गणिमधरिममेयपारिच्छेज्जभेयाओ चउबिह, तस्थ गणिमं-पूगफलाइ धरिमं-गुडखंडाई, मेयं-घयतेलाइ, पारिच्छे अं-माणिकवत्थाइ, आइसद्दाउ धन्नं सालिजवबीहिकोद्दवरालयतिलमुग्गमासादि घेप्पइ, एएसिं परिमाणस्स बंधणेण अइकमो-अइयारो होइ, जहा किर कस्सवि कयधणधनपरिमाणस कोवि लब्भं अन्नं वा धणाइ देइ, तं पुण वयभंगभयाउ चाउम्भासाइपरओ गिहठियधणधन्नविक्कए वा गिहिस्सामि एवंविहभावणाए बंधणेण मूढगाइसरूवेण सच्चं कारदाणाइरूवेण वा सीकरेऊण तस्स घरे चेव तं धणाइ ठावेंतस्स अइयारो ३, तहा दुपय-पुत्त कलत्तदासीदासकम्मकरसुगसारिगाइरूवं, आइसदाओ गोमहिसीबलीवदाईच उप्पया गहिया, तेसिं जं परिमाणं गहियं तस्स कारणेण-गम्भगाहणेण इत्यर्थः, अइक्कमो-अइयारो होइ, जहा किर केणात्रि सावगेण संवच्छराइकालमाणेण दुपयचउप्पयाण परिमाणं कयं, ताई च संवच्छरमज्झे चेव जइ पसबिति तओ परिमाणाहिगदुपयच उप्पयसंभवाउ वयभंगो होइ, अओ वयभंगभयाउ केवइयंमि वि 181॥ ७९ ॥ For Private Personel Use Only jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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