________________
श्रीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुकमणी
४२५
धृतराष्ट्रश्च पाण्डुश्च (उद्योग) २०.४, धृतराष्ट्रस्य पुत्राणा (उद्योग)१४६.१८ धृतराष्ट्रो महाराजो (आश्रम) ११.३ धृत्या या धारयते मनः (भीम)४२.३३ धृष्टद्युम्नः कृपेणाथ (कर्ण) १३.६ धृतराष्ट्रश्च राजर्षिः (शांति) ४०.१६ धृतराष्ट्रस्य पुत्राणा यस्तु(स्त्री) ८.२६ धृतराष्ट्रो महाराजः (शांति) ४१.४ धृत्या शिश्नोदरं (उद्योग) ४०.२४ धृष्टद्युम्न च समरे (द्रोण) १९५.१६ धृतराष्ट्रश्च सामात्य(आश्रम) ३१.२१ धृतराष्ट्रस्य पुत्रेण (उद्योग) ८२.५ धाराष्ट्रोप्रमाद विदुरश्च पा)२.३४६ धृत्या शिश्नोदरं (शांति) ३३०.२८ धृष्टद्युम्न निबोधेई (भीष्म) ५०.३२ धृतराष्ट्रश्मिरं ध्यात्वा (आ) १.१४२ धृतराष्ट्रस्य पुत्रेण सर्व (द्रोण) ७९.१५ धृताची मेनका रम्भा (वन) ४३.२६ धष्टकेतुः कृपेगास्तान (द्रोण) १४.५३ धृष्टद्युम्न पलायस्व (द्रोण) १६६.२६ धृतराष्ट्रः श्लोकमेकं (भीष्म) ४३.५ · धृतराष्ट्रस्य ये पुत्रा: (उद्योग) २०.५ तदा संयमो (शांति) १२०.३७ ।।
(शात १२०.३७ धृष्टकेतु महात्मानं (स्त्री) २५.२० धृष्टद्युम्नः पाण्डवाश्च (सभा)५३.१६ धृतराष्ट्रस्ततो भीष्म(उद्योग) २१.१५. धृतराष्ट्रात्मजं तस्मै (शल्य) ३०.३३ धृतिमन्तव दशाश्व स्वे (वन) १६२२ धष्टकेतूच शल्याय(उद्योग) १६४.६ धृष्टय म्नपिता (द्रोण) १५४.१२ धृतराष्ट्रस्ततो राजा (द्रोण) १.२ धृतराष्ट्राभ्यनुज्ञातं (शांति) ४४.७ धृतिमन्तो ह्रीनिषेवा (सभा) ५३.२ धष्टकेत तथाऽयान्तं (द्रोण) १०७.१ धृष्टद्युम्नपुरोगास्ते (वन) ५१.३५ धृतराष्ट्रस्तु तान् (आषम) ३२.२१ धतराष्ट्राभ्यनुज्ञाताः (आ) २०.५ धुतिमानप्रमत्तश्च (शांति) २३५.२६ धष्टकेत त समरे (भीष्म) ११६.२६ धृष्टद्युम्नः प्रहस्या (दाण) १९१.१५ घृतराष्ट्रस्तु तेनाह्रा (बाश्रम) १८.१६ धृतराष्ट्राय तदाज्यं (शांति) ४५.११ धृतिमानात्मवान् बुद्धि(शांति)२१५.१५ धृतराष्ट्रस्तु धर्मात्मा (आश्रम) ३२.२ धृतराष्ट्राश्चैकशतमशीति(सभा) ८.२३ ।
धृष्टकेतुततो राजन् (भीष्म) ६.२१ धृष्टद्युम्नमथायान्तं (द्रोण) १७०.३
धृतिमान् क्षिप्रकरी च (वन) २०३.३ धृष्टकेतुर्जयत्सेनो (स्वर्ग) ५.२ धृष्टद्युम्नमहत्वाऽहं (कर्ण) ५७.६ धृतराष्ट्रस्तु पुत्रण(आ) १४२.५ धतराष्ट्रीं तु हंसांश्च (आ) ६६.५८ धतिमान् देशकालज्ञः (वन) १६२.३ धृष्टकेतुनरव्याघ्रश्चे (भीष्म) ७५.१० धृष्टद्युम्नमह मन्या उधाण) १५१.२५ धृतराष्ट्रस्तु पुत्रण (आ) १४३.५ धृतराष्ट्रण भीष्माय(द्रोण) १६६.४७ तिमाम्मतिमान् दक्षः(अनु। १७.११५ ।। धृष्टकेतुश्च चेदीना (द्रोण) १०६.१ धृष्टद्य म्नमहं मन्ये (उद्योग)१५१.४६ धृतराष्ट्रस्तु राजििन (स्त्री) २६.७, धृतराष्ट्रोऽध राजासीटा(मा) १४.५८ धृतिमांश्च कृतज्ञश्च (द्रोण) १५८.३७ घष्टकेतुश्च चेदीना (द्रोण) १२५.२६ धृष्टद्युम्नमुखान् पार्थान् (कर्ण) ४८.३ धृतराष्ट्रस्त्ववक्षुष्टा(आ) १०६.२५, धृतराष्ट्रो ददी राजा (शांति) ४२.२ धूति कृत्वा सुविपुला (विरा) ६१.१५ धृष्टकेतुश्च बलवान् (द्रोण) १११.४६ धृष्टद्युम्नमुखान् (उद्योग) १६२.४० घृतराष्ट्रस्य च तदा(बाश्रम) ३२.१७ धृतराष्ट्रो द्विधाचिन्त:(आ) १४२.२ पतिदमो ब्रह्मवयं क्षमा(शांति) ५५.५ धृष्टकेतुश्च संरन्धो (द्रोण) ४२.४ धृष्टा नमुखाः पार्था (द्रोण) ६५.५ धृतराष्ट्रस्य चात्रव (आ) २.३१६ धृतराष्ट्रो धनेशस्य(स्वर्ग) ५.१४
धृति म सुखे दु:खे (शांति) १६२.१९ धृष्टकेतुश्च समरे (भीम) ७२.६ धृष्टद्य म्नमुखा वीरा (कर्ण) ६०.७५ धृतराष्ट्रस्य तद्वाक्यं (वन) २३७.१ घृतराष्ट्रो नरश्रेष्ठ (शल्य) १.५१ तिः शमोः दमः (उद्योग) ३८.३८ धृष्टकेतुश्वेकितानः (भीष्म) २५.५ धृष्टद्युम्नमुखा: सर्वे (भीष्म) १६.२५ धृतराष्ट्रस्य तं काम (आ) १४३.११ धृतराष्ट्रोऽपि धर्मात्मा (शल्य)४१.२८ धृतिस्थैर्यसहिष्णुत्वादान (आ) १३६.२ धृष्टकेतुः स्वसारं च (वन) २२.५० धृष्टद्युम्नमुखवीरति(वन) १२.४६ धृतराष्ट्रस्य दायादा (आ) १२६.१७ धृतराष्ट्रोऽपि राजेन्द्र (वन) २५६.२१ धृत्वा च पुरुषव्याघ्रो (उद्योग) ५३.१० धृष्टकेतोश्च भगिनी (आश्रम) १.२४ धृष्टद्युम्न कृपो राजन् (कर्ण) २६.१ धृतराष्ट्रस्य पुत्राणा(आ) ११६.१ धृतराष्ट्रोऽभवन्मूढः स (स्त्री) ८.११ धृत्वा देहान्धारयंती(शांति) २१७.२४ धृष्टत्वादत्यषित्वाद् (आ) १६७.५३ धृष्टद्य म्नं च पाञ्चा(लद्योग) १६०.७६
For Private Personal use only
Jain Education Internal
wwwalibrary