________________ अध्यात्म सार: गुरु गुण गीतम् 11580|| येषां सुबुद्धिविभया हतवादिवृन्दम् , चुम्वत्यवश्यमनिशं चरणारविन्दं / षड्दर्शनागम-विदो विजयन्त एव, आनन्दसुरिवृषभा विजयादिमाश्च // 2 // (व. ति. वृ.) सद्धर्मरक्षा सुनिबद्धकक्षाः, स्वाध्यायदक्षा जिनशास्त्र लक्षाः / जयन्ति जैने जगति प्रसिद्धाः, सूरीश्वराः श्रीकमलाभिधानाः // 2 // (उप.) घिपणया विषणं भुवि भूषणम् , जयति यो जिन-दृष्टिविभूषया / प्रमुदितः प्रणमामि सदा मुदा, विजयलब्धिकवीश्वररिपम् // 3 // (द्रु. वि.) पिबन्प्रेक्षापार्या प्रवचनवचः सुन्दरसुधा, उपाध्याधि-व्याधि-प्रशमनकरी शर्मजनिकाम् / समालम्ब्याऽऽबाल्याद् गुरुचरणसेवाऽतुलबलं, भुविश्लाध्यः सूरिभुवनतिलकाख्यो विजयते // 4 // (शिरवरिणी) 4580 // in an interna For Private & Personal use only M ainelibrary.org