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घुवीक
आ ग्रंथना पहेला अण सर्गमां अने आठमा सर्गमा जे आदिश्वर भगवाननु चरित्र, भरतमहाराज चरित्र तथा शबंजयनी हकीकत आपेली छे ते जो के घणे ठेकाणे आवी गयेली छे, छतां आ ग्रंथमां तेज हकीकतनुं कर्ताए घणी खुबीथी वर्णन कर्य है. सर्ग चोथा, पांचमा, छठा अने सातमामां आपेला चार चरित्रो तदन अप्रसिद्ध छे. ते चरित्रो खास मनन पर्वक वाचवा जेवा छे अने जीवनमा घणोज सुधारो करवावाळा है. आ ग्रंथ हाथमां लीधा पछी साद्यंत वांचवानी रुची थया
विना रहेती नयी. आ ग्रंथन जो विस्तारथी विवरण करवा घेसीये तो ग्रंथ करतां पण मोटुं पुस्तक पड जाय तेमवार 18 साचत वांची जइ कर्त्तानो अने प्रसिद्ध कर्त्तानो श्रम साफल्य करशो एवी आशा छे.
आ पुस्तकनुं गौरव वधारवा तेमां आवता पंदर आकर्षक चित्रो नाखवामां आव्या छे.
संस्कृतना अभ्यासीओ सर्व होता नथी तेथी तेमज ग्रंथ वाचवा भणवा योग्य होवाथी अमे आ ग्रंथनु भाषांतर पण बहार पाडयुं छे ग्रंथनी अंदरना सधळा प्रस्ताविक श्लोको भाषांतरमा दाखल कर्या छे. भाषांतर अत्यंत रसीक छे अने १३ डीझाइनना चित्रो नाखी सचित्र करेल छे. भाषांतर प्रसारक सभाना मंत्री रा. रा. कुंवरजी आणंदजीभाइनी दृष्टि नीचे छपायेक के. भाषांतरनी किंमत फक्त रु. ५ राखी छे.
SOROR 2000000000000000000000000000000000000000000000
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संवत १९८० चैत्र शुद १५
शाह मोहनलाल गीरधरलाल.
भावनगर.
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