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________________ चरित्रम् ।२॥ 18 पछी तेर्नु मनन कारवाथी कौए काध्यमां गुंथेली चमत्कृतिनो प्रकाश थाय छे. वांचनारने एकंदर आनंद रस उपजावनार 8| मने एक वखत वांच्या पछी फरीथी तेनुं तेज पुस्तक वांचवानी मेरणा करनारुं आ पुस्तक छे. आ संस्कृत काव्य महाकाव्य छे. कर्ताए जो के तेनी अंदर अनेक चमत्कारी अने भावो प्रगटपणे तेमज गढपणे 8 राखेला छे छतां तेने अत्यंत कठण थवा दीधुं नथी, संस्कृत भाषा अत्यंत कोमळ छटादार अने आनंददायक छे. वांचनारने संस्कसनो तेमज जैनशास्त्रनो सारो बोध आपनाएं आ काव्य छे. माज सुधी शश्रृंजयना दीपकतुल्य पुंडरीकस्वामी जेवा महा पुरुषतुं चरित्र संपूर्णपणे बहार न पडवार्नु कारण एज देखाय के के कमलमभमुरिए रचेला आ काव्यनी नकलो जोइए तेटला प्रमाणमा लखायेली नहि होय, कारणके आ चरि मी प्रत अमने फक्त एकज मळी शकी अने ते पण पडी मात्रानी अने अत्यंत जुनी होवाथी जीर्ण मायः हती. आ ग्रंथ अत्यंत उपयोगी तेमज प्रसिद्ध करवानी आवश्यकतावाळी होवाथी अमे एक सारा पंडित तरीके गणांता मी. बेंचरदास पासे सारी रीते संशोधन करावी बहार पाड्यो छे. वांचनारने सरळ थवा वास्ते पर्याय शब्दो अने नोट पूरता प्रमाणमा आपेली छे. आ ग्रंथना आठ सर्ग अने छेवटे एक सर्ग जेटली समाप्ति करेली छे. तेमा विस्तारथी पुंडरीकस्वामीन चरित्र लखवा उपरांत संक्षेपथी प्रथम चक्रवर्ती भरतमहाराजनुं अने प्रथम जिनपति ऋषभदेवनु वर्णन आपेलं छे. सिद्धाद्रि-शत्रुजय, वर्णन पण सारा प्रमाणमां आपी घणो प्रकाश कर्यों केविषयानुक्रमणिका सर्ग १ को-आ सर्गमां कर्ताए मांगलिक करीने युगादिनाथने केवळज्ञानना प्रसंगमा अयोध्यानगरीथी शरुआत करीने ऋषभदेवराजा, तेमनी परिनओ, तेमना पुषोना पूर्वभवनी साये जन्म अने नामो, पुंडरीफस्वामीनो जन्म, ऋषभदेवनी gooooooooooooooooOoooooooooo aanoo0000 000000000 ॥२॥ Jain Educatieidernational For Private & Personal use only 12dainelibrary.org
SR No.600051
Book TitlePundarik Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMohanlal Girdharlal Shah Bhavnagar
Publication Year1924
Total Pages318
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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