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SPERMER
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प्रस्तावना.
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श्रीमान् महावीरमभुना जैन शानमा कोटीगण, वज्रशाखा अने चंद्रगच्छ विस्तार पाम्यो. चंद्रगच्छना नायक श्री चंद्रप्रभमूरिनी पाटे धर्मघोषसूरि थया. धर्मघोपमूरिनी पाटे चक्रेश्वरमरि, चक्रेश्वरसूरिनी पाटे त्रिदशमभमूरि, त्रिदश-8 समरिनी पाटे तिलकसरि, तिलकमूरिनी पाटे धर्मप्रभमुरि, धर्मप्रभमूरिनी पाटे अभयमममूरि अमे अभयप्रभमूस्लिी पाडे रत्नप्रभसूरि थया. ते रत्नमभमूरिना शिष्य कमलमभमूरि चौदमा सेकामां थया जेमणे आ पद्यपंध मूळग्रंथाली स्वना विक्रम संवत १३७२ मां धोळका गाममां करी.
भामूळ ग्रंथना रचनार महान् धुरंधर आचार्य थइ गया. तेमनो संस्कृत भाषा उपर अलौकिक काबु होवो जोहर 18 कारण के तेमर्नु बनाई आ महाकाव्य विविध प्रकारना अलंकारो भने उपमाओथी व्याप्त छे, एटलुज नहि पण केटलाक
अहंकारी भने उपमानो तो विचित्र अने अलौकिक रीते घटाव्या छे. कविओ जे कहे छ के 'साचु अमृत काव्यरसज छ तेने आ ग्रंथ परेपूरी पुष्टि आपे छे. संस्कृत जाणनारने आ ग्रंथ अवश्य वाचवा लायक अने घणुंज ज्ञान आपवावाळो छे. ठेकाणे काणे वीजे स्थळे रष्टिमां न आवे तेका प्रस्ताविक लोको पाया आकाक्ष्यमा घणा आवे छे. आ ग्रंथ पांचवाथी अने वांच्या
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