SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 223
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शकेले. श्रीयशोविजयजैनग्रन्थमाला. मल्लिनाथमहाकाव्य-(पुस्तकाकारे तेमज | पत्राकारे ) आ महाकाव्य श्रीविनयचन्द्रसूरिओ (संस्कृत मासिक पुस्तक) बनावेलुं छे. जेमां मल्लिनाथ स्वामीना चरित्र श्रीयशोविजयजैनग्रन्थमाला मासिकमां | । उपरान्त प्रासंगिक केटलीक रसिक कथाओ एक सो पृष्ठ संस्कृत अने प्राकृत साहित्यने | सरल संस्कृतमां आपवामां आवीछे. साधारण माटे रोकवामां आवेछे, जेनी अन्दर न्याय, | संस्कृत जाणनाराओ पण तेनो लाभ लइ कोश तथा महाकाव्यना ग्रन्थो प्रसिद्ध करवा किं. ३-०-० मां आवेछे. लवाजम रु.८) प्रथमथी लेवामां विजयप्रशस्तिमहाकाव्य- कविपुरन्दर आवेळे. नमूना दाखल कोईने अंक मोकलवा- | श्रीहेमविजयगणिविरचित, तथा गुणविजयगमां आवतो नथी. णिविरचित टीका सहित, आ महाकाव्यनी गद्यपाण्डवचरित्र-पंडित देवविजयजीग अन्दर श्रीहीरविजयसूरि, श्रीविजयसेनसूरि णि बनावेलं, जे घणुं सरल अने बोधदायक तथा श्रीविजयदेवसूरिनां चरित्रो आपवामां छे. सामान्य संस्कृत नाणनाराओ पण वांच आवेलां छे. तेमज अकब्बर बादशाह तरफथी ननो सारो लाभ मेलवी शके छे. वधारे खात्री जैनधर्मने मळेली पष्टिनं वृत्तान्त पण आपलु अनुभवथी करो. किंमत मात्र रु. ४-०-० छे. किं. ५-.-. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600050
Book TitleAnyayoga vyavaccheda dwatrnshika
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorHargovinddas T Seth, Bechardas Doshi
PublisherChunilal Pannalal Mumbai
Publication Year
Total Pages224
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy