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एका बध्नाति कर्म एकः वधबंधमरणव्यसनानि एगो बंध कम्मं । एगो वहबंधमरणवसणाई॥ · विषहते नवे भ्रमति एक एव कर्मनिवीनतः सन्
विसह नवंमि लमम । एगचित्र कम्मवेलविन ॥६॥ अर्थ-(एगो के) एकलो.अर्थात् सहाय्य रहित एवो जीवजे ते (कम्मं के०)
ज्ञानावरणीआदि कर्मने (बंध के०) आत्मानी संगाथे बांधे .तथा (एगो के०) ail एकलोज नवांतरने विषे (वह के) तामन. अने (बंध के०) बंधन. अने (मरण
के) प्राणनो वियोग. अने (वसणाई के) आपत्ति, तेमने (विसहर के०) सदन | करे . वली (एगुच्चिय के) एकलोज आ जीव (कम्मवेलविन केय) कर्मवकेट
गायो सतो (नवंमि के०) संसारने विषे (जमार के) नमे .॥२६॥ । लावार्थ:-हे जीव! जे वखत तहारो जन्म थयो, ते वखत ते एकलेज घ.* | गुंज कष्ट सहन कयु, पण ते वखत तदारुख मटामवाने माटे, तने कोइएस
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