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________________ वै० तोगक, एम विचार करता करता संध्याकाल श्रइ, ने कमल मिचाइ मयु; ते श | वखते ते नमरो विचार करे ने के, रात्री जशे ने सारो प्रजातकाल यशेने सूर्य * रज उगशे, ने कमलनी लक्ष्मी हसशे एटले प्रफुल्लित श्रशे, त्यारे हुं नमी जश्श.एवो * * विचार करे . एटलामां पाणी पीवाने माटे आवेला हामीए ते कमलने उपामी ने हा इति खेदे!!मुखमां घाली, पेला बिचारा नमराने दांतवमे चाववा मांड्यो! * ॥१॥ ते वखते पेलो नमरो मरतां मरतां पश्चात्ताप करे ठेके, जगतमां बंधन * * तो घणां ने, पण प्रेमरूप दोरीनुं बंधन तो एक जुदी जातनुज ने ? केम के, ग-1 *मे तेवु काष्ठ होय तो पण तेने विंधवाने जमरो समर्थ होय बे, परंतु हुँतो स्नेहे * करीने कमलना दोमाने विषेरहीने किया रहित थयो. एटले ते दोमाने कोरीने * नीकली जवा समर्थ न थयो!॥२॥-वली ब्रह्मदत्त राजा मरणांतिक रोगनी * वेदनादिके करीने पराभव पाम्यो सतो प्रतिशे, संतापनो अनुन्नव करे . एटले * वेदनाए करीने आंखमांधी आंसु चाल्यां जाय ने तोयपणमोहनो नदयथी जो *गनी आकांदा (श्चा) करे . अने पासे बेठेली स्त्रीना उपर हाथ नांखीने पो 1109 - Jain Education International For Private & Personal Use Only NA www.jainelibrary.org
SR No.600048
Book TitleVairagyashatakama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra D Shastri
PublisherRamchandra D Shastri
Publication Year
Total Pages270
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript
File Size14 MB
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