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यो . (य केण) वली एज तुं (विरूवो के) केटलीएक वखत कुरूपवंत प्रयो ने. * य के०) वली (सुहन्नागी के०) केटलीएक बखत सुखनो नोगवनारो श्रयो .
अने वली (उखजागी के०) केटलीएक वखत दुःखनो नोगवनारो पण श्रयो . | नावार्थ-श्रा जीवे नटवानी पेठे जूदा जूदा रूपे करीने आ संसाररूपी रंग नूमिमां अनेक प्रकारनां नाटक कयाँ ले. जेम के, कोश्क वखत देवतानो वेश* नजन्यो, त्यारे एवं विचायु के, जगत्मां महारा जेवो को सुखीयो नश्री. त| था कोश्क वखत नारकीनो देश जजव्यो, त्यारे एवं विचार्यु के, जगतमां महा| राजेवो को फुःखीयो नथी. तथा कोश्क वखत तिर्यंचनो वेष नजव्यो, त्यारे ए q विचार्य के, जगत्मां महारा जेवू कोश्ने पराधीनपणानुं फुःख नथी. वली | कोश्क वखत मनुष्यनो वेश लजव्यो, त्यारे एवं विचार्यु के, जगत्मां को महारा जेवो श्रेष्ठ बुध्विालो नत्री. एमज कोइक वखत पोताना पुद्गलना रूपनो अहंकार कर्यो, के, महारा जेवो जगत्मा को रूपालो नथी. तथा ज्यारे कुरूप वान् थयो, त्यारे एवं विचार्यु के, महारा जेवो जगतमां कोई कुरूपवान् नथी.
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