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________________ सामाचा रीशत कम् । ॥१४॥ ६४ SHOSSEISHESAUSOSLUSSES पडिक्कमणाइ मोणेणं कुणंति ॥३०॥ गोयमपडिग्गह १ मुक्खदंडग २ मउडसत्तमी माणिकपत्यारिआइ तव अकरणं ॥३१॥ श्रीजिनसंपइकाले सावयपडिमाओ न वहिजति ॥३२॥ देवस्स गाम १ गोउल २ आराम ३ कूवाइ ४ न कीरइ ॥३३॥ चेइअहराइसु पतिसूरिअद्भुडंचय पडिसेहो ॥३४॥ राईमई विरहगीआई परिहारो॥३५॥ जहन्नओ वि पारुत्थयं विणा न न्हवणं ॥३६॥ रयणीए सामाचार्यनंदि १ बलि २ पइट्ठा ३ रहजत्ता ४ न्हवणाई ५ समणा १ समणी २ सावय ३ साविआणं ४ चेइअ पवेसो न मंगलदीवस्स 5धिकारः न भामणं ॥ ३७॥ न य आरत्तिए विसेस पूआ॥ ३८ ॥ लवणस्स जलस्स य उत्तारिअ जलणे खिवणं ॥३८॥ न य थालं विणा आरत्ति अ मंगलदीवा ॥ ४० ॥ न चेईए वेसा नच्चणं ॥४१॥ न य लउडारसदाणं ॥४२॥ लोण १ जल २ आरत्तिआइ ३ जिणस्स सक्केण न कयं किंतु गीयत्थेहिं आइण्णं संहारेण य संजुत्तं ॥४३॥ अट्ठाहिआओ तहा आरंभिअवाओ जहा सत्तमी अट्ठमी नवमीओ अट्ठाहिआ मज्झे इंति ॥४४॥ परिग्गहप्पमाणटिप्पणए मूलगुरूपासे इमं 8 गहिति लिहिज्जइ न उण अन्नेहिं वि आयरिय उवज्झाय वायणायरिएहिं दिन्ने परिग्गहप्पमाणे स नाम लिहिअवं ॥४५॥ मूलगुरूपत्थाणं काउं जाव विवक्खियं ठाणं न संपत्तो ताव धोवणीया सबठाणेसु साहहिं न कायथा ॥ ४६॥ कंधक-|| बलियाए असमप्पिआए दंडगो न अप्पेअवो आयरियउवज्झायाणं गिण्हतेहिं पढम दंडओ घेतबो पच्छा कंधकंव ॥१४०॥ लिआ॥४७॥ आयरिय-उवज्झायाणं कंधकंबली विहारभूमिए वेयावच्चगरेण घेतबा.न पुण वायणायरिअस्स ॥४८॥ चउरो तिप्पाओ घेतवा न पुण तिन्नि ॥४९॥ अपडिक्कम्मत वंदणदायारो सावया जहा पभाए तहा संझाए वि दोहिं A w .jainelibrary.org Jain Education Inter Or"280sonal use only
SR No.600047
Book TitleSamacharishatakama
Original Sutra AuthorSamaysundar
Author
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1939
Total Pages398
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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