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सामाचा- IRI कनुं धोवण, अनइ सर्व जलाशय तणो अप्काय, ए पान कहिजइ, साकरपाणी दाखपाणी आंबलपाणी इक्षुर- अशनादिरीशत- सपाणी प्रमुख सर्व सरस पाणी पान कहतां आवइ, पिणि व्यवहारइ अशन, जिनुं जिनुं खाइमं स्वादिम कहिजइ निर्णया
सुखडी सेक्युं धान सर्व खारिक टोपरां द्राक्षा बिदाम अखोड खजूर प्रमुख सर्व मेवो, काकडी आय फलसादिक |धिकारः
सर्व फल स्वादिम कहिजइ, स्वादिम कहतां सुंठि हरडइ पीपरी मिरी अजमउ कायफल कसेल काथो खयरसार ५३ ॥१२६॥
जेठीमध वज तमालपत्र एलची लवंग विडंग काठी विडलवण अजमोद कुलिंजन पीपलीमूल चीणीकबाला कचूर मोथ कंटासेरीयो कपुर संचल हरडा बहेडा आमला कुमठउ पान पुगी हिंगुलाष्टक हींग त्रेवीसउ पुष्करमूल जवासामूल बावची बाउल छालि खेजडछालि ए स्वादिम कहिजइ, गुडस्वादिम कहिजइ, पिणि व्यवहारइ अशन, जीकुं कुंनीर साकर वासिउ सुंठनो पाणी हरडेनो पाणी ए लीजे नीतारनइ गल्यो हुवे तो, न गल्यो हुइ तो नहि, तिविहार पच्चक्खाणि जे सूझइ इहाइ स्वादिमजि, जीरो प्रवचनसारोद्धारमांहि स्वादिम कडं छइ, अनइ श्रीकल्पवृत्तौ खादिम कत्यु छइ, ए चार आहारनो विचार नींबनी छालि मूलानां पांदडां सीली गोमूत्र गिलो कडूकिरियातुं अतिविष कडुओ& सुकडराख हलद्रा रोहणि उपलोट वज त्रिफला पंचमूलनिंब धमासउ नाहि आसगंधि रीगणी एलीयो गूगल हरडा छालि वउणमूल बोरीमूल कंथारीमूल कयरडा-मूल पुंमाडी आछी मजीठ बोल बीयुत्तं कुंवारी इत्यादिक बीजुई जे अनिष्ट पणइ
M॥१२६॥ इच्छा पाखइ लीजइ ते चिहुं आहारमांहि एकइ भांगइ नहि, अणाहार जाणवो । विचारग्रंथे अनाहारगाथा यथा"अभयक्ख फलामलए भूनिंबाकडा अगिलोअ रखाई। जोगोनिंबाइणं तयांइ पत्ताणि अणाहारो ॥१॥” इति, श्रीवि-IA
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