________________
%A5%
%
KMA%AF-%%
%
जइ जाउ अंगजा जा सको अवाकजाम्मि । ता जणणीणमवयो पठणीजूट जम्मि धुर्व ॥ ३ ॥ कहमुप्पहम्मि वचसि ! रचसि नीयंगणंगसंगम्मि? | तुममेगो मह पुत्तो कत्तो मह माणसे सुरकं ॥४॥ नियनंदणघणसमए अंबरमबरविरायमाणी । गऊंति उच्चजाणे अंबा कायंबिणीचब॥४५॥ नियपुत्तरायारालोयणपुस्सहनिदाहदूहविया । रंति पुहलरेणं जगणीच सिहंमिणीचव ॥४६॥ अम्ह कुलमेरुसेलो सन्चार्ज सीयलो य संजाउँ । एगेण नंदणेणं तुमए नंदणवणेणुव ॥ ७॥ जो बहुएहिं मणोरहसएहिं नवजाइएहि विविहेहिं । पत्तोऽसि तुमं पुत्तय सो अम्ह परम्मुहो होसि ॥४॥ मं मन्नसु अवमन्नसु मा मायरमायरेण विलवंति । मह उवरि धरसु करुणं सरणं मह कहसु को श्रन्नो ॥४॥ श्च्चाश्माइलवएसामयसित्तोऽवि तस्स कामगी। नहु जवसममावन्नो अहिययरं जखिनमाढत्तो॥ ५० ॥ नो माय ताय निसुणह जवएसं देह मोरनमा मा । जाणामि सबमेयं अहयं तुम्हाण नबवियं ॥ ११ ॥ शश जंपिरम्मि तम्मि य इलासुए नियसुए निरासंकं । मोणमवलं विलं ते विया जहा चित्तसंलिहिया ॥ ५ ॥ नो मायरंपि पियरं न नायरं उहियरपि हु गणंति । कामाजरा मणुसा इहपरखोएसु नयनी ॥ ३ ॥ तो अवगणिड एसो तएंव सबेण सयणवग्गेण । चिंतामणीवि कक्करतुझो मन्निनाए जइ नो ॥ ४॥ श्रह न(थ)वज्यि माएं नाणं विन्नाणकाणकोसनं । सो मग्गइ तं बालं रंकुब सदन्नप(थ)कन्नं ॥ ५५॥ १ मवन्तीत्यध्याहार्यम्,
-%
C
%Awar
MA
493
-kare
उप.१७ Jain education
For Private & Personal use only
Aww.jainelibrary.org