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अन्नोऽवि जणो धन्नो तत्य निसन्नो सया सुकयपुनो । पारधा धम्मकहा सुहासमाणा वाणीए ॥ १०॥ जो जो जवा सबायरेण धम्मम्मि कुणह उखोयं । उजोयं पावमहातिमिस्ससंजारसंहरणे ॥ ११ ॥ सम्म सम्मत्तधुरं धरेह बुधरयरं धुरीणुव । नह खदु सिछिपुरीए खदेह वासं निरायासं ॥ १ए॥ निम्मायब निम्मायचेयसा चियवंदणं च तिकार्य । तप्पडुपूयापुषयमनबसिवसुरकखालकरं ॥ १३ ॥ पूयापरिणामोऽवि हुजवा नवावारपारतरणाय । हरणाय चुहसयाणं संपळ सुरककरणाय ॥ १ ॥ जो जयपहुणो पयपूयणम्मि निरठ जवाउ तह विर। श्रर विसयसुहम्मी घर सो खह परमपर्य ॥ १ए५ ॥ तह पंचनमुक्कारो सारो संसारसायरे घोरे । रयणोब अश्जदारो.धरियबो बहुपयत्तेण ॥ १६ ॥ एसु चिय मुहसंचयहरणो सरणो श्रएंतसत्ताणं । जयकूवसमुधरणो मरणोवदवहरो होइ॥ १७॥ जो फाएइ तिसंऊ वियतियचळवारमन्सयमहवा । सो रजारिद्धिसिद्धीसद्धिसमिद्धी खद धन्नो ॥ १॥ सबस्सुयमुन्फित्ता बुन्फित्ता परमतत्तजूयमिषं। मरणखणे जो सरई अणुसरई सिवसिरिं सो छ ॥ १एए॥ जो न सह मंतमिणं हीणो दीगो दरिदि(ह) सो उरोगी सोगी जाय दोहग्गी जम भूरिजवं ॥१०॥ गुरुवयणमिणं सुच्चा बहु खो सुसजियपमोई। जिणपूयणिकताणो जा परमिष्किाणपरो ॥२०१॥ अह पुल सचमई राया समए मए पुरा पुतं । किं कयमेरिसरिधी(एँ)य जायणं जं जए जा ॥२०॥ वाह गुरूचठनाणी पुषजवे रायगिहपुरे शासि । श्रश्वारंजी तह जद्द य माखिलं रायसेहरळ ॥१०३ ॥
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