SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ACCURREAK गस्स परिवाडी जाया, तत्थ गतो चिंतेइ-इमो विराहियसामन्नो कोवि होजत्ति निसीहियं भणित्ता नमोकारं पढंतो दुक्का, वाणमंतरस्स चिंता जाया-कत्य मण्णे एवं सुयपुवं?, णायं, संवुद्धो, वंदइ, भणइ-अहं तत्थेव आहरामि, गतो, रण्णो कहियं, रण्णा सम्माणितो, तस्स ओसीसए दिणे २ ठवेइ, एवं तेण अभिरई भोगा य लद्धा, जीवियातो य किं अन्नं आरोग्गं ?,रायावि परितुद्वोत्ति ३॥ . परलोगेवि नमोक्कारफलं-वसंतपुरे नयरे जियसत्तू राया, तस्स गणिया साविया, सा चंडपिंगलेण सम वसति, अन्नया कयाइ तेण रन्नो घरं हयं, हारो नीणितो, मीएहिं संगोविजइ, अण्णयो उजाणियाए गमणं, सबातो विभूसियातो गणियातो वचंति, तीए सबातो अतिसयामित्ति सो हारो आविद्धो, जीसे देवीए सो हारो तीसे दासीए सो नातो, कहियं रनो, सा केण समं वसइ १, कहिए चंडपिंगलो गहितो, सूले मिन्नो, एतीएवि चिंतियं-मम दोसेण मारिउत्ति, सा से नमोकार देइ, भणइ य-निदाणं करेहि जहा-एयरस रण्णो पुत्तो आयामित्ति, कयं निदाणं, अग्गमहिसीए उदरे उववन्नो, दारगो जातो, सा साविया कीलावणधाती जाया, अण्णया चिंतेइ-कालो समो गन्भस्स मरणस्स य, होजा कयाइ, रमावेती भइ-मा रोव चंडपिंगला इति, जाई सरिया, संबुद्धो,राया मतो, सो राया जातो, सुचिरेण कालेण दोवि पवइयाणि, एवं सुकुलपच्चायाती तंमूलागं च सिद्धिगमणमिति ॥ अहवा विइयं उदाहरणं-महराए नयरीए जिणदत्तो सावगो, तत्थ इंडितो चोरो, नगरं परिमुसइ, सो कयाइ गहियो, सूले भिन्नो, रण्णा भणियं-पडियरह विइजयाविसे नजिहिंति, ततो रायमणूसा पडिचरंति, सो जिणदत्तो सावगो तस्स नाइदरेण वीतीवयइ, सो चोरो भणइ-सावग! तुममणुकंपगोऽसि, तिसाइतोऽहं, देहि | BARCELONA REXHAUS Jain Education inte For Private & Personal use only ( P w.jainelibrary.org
SR No.600045
Book TitleAvashyakasutram Part_3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages312
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy