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स्कारे
श्रीआर-10 दिदै मक्कोडाण ठानं, अग्गिं छुहिता समूलं उच्छेदियं, चाणकेण दिडो, रणो निवेदितो, रण्णा सदावित्ता आरक्खत्तं दिन्नं, पारिणामिश्यकमल-12वीसत्था कया तेण सवे चोरा, अन्नया भत्तदाणेण वीसासेऊण सकुडुवा मारिया ॥ एगत्य गामे किल तिदंडिणा भिक्खा न क्याः उदायगिरीय- लद्धा, तत्थ आणा दिन्ना, अंबगेहि वंसी परिखेत्तवा, तेहिं विवरीयं कयं, सीहिं अंबगा परिक्खित्ता, ततो रुट्ठो पलीवितो सवो 31 हरणानि वृत्ती नम- गामो ॥ ततो कोसनिमित्तं परिणामिया बुद्धी पयट्टिया, सोवण्णं थालं दीणाराण भरियं, कूडपासेहिं जूयं रमह, जो जिणइ
तस्स एयं, अह अहं जिणामि एक्को दीणारो दायबो, अइचिरंति अन्नं उवायं चिंतेइ, नगरप्पहाणाण भत्तं देइ, मजपाणं
च, मत्तेसु पणच्चितो भणइ-दो मज्झ धाउरचाउ कंचणकुंडिया तिदंडं च, राया मे वसवत्ती एस्थवि ता मे होलं वाएहि ॥५३२॥
A॥१॥ एवं भणिए अन्नो असहमाणो भणइ-गयपोयगस्स मत्तस्स उप्पइयस्स जोयणसहस्सं । पए पए सयसहस्सं एत्थविता मे होलं वाएहि ॥२॥ अण्णो भणति-तिलआढगस्स उत्तस्स निष्फनस्स बहुसइयम्स ।तिले तिले सयसहस्सं पत्थवि ता मे होलं पाएहि ॥३॥ अन्नो भणइ-नवपाउसंमि पुण्णाए गिरिनदीए सिग्घवेगाए । एगाहियमेत्तेणं नवणीएण पालि बंधामि, एत्थवि ता मे होलं वाएहि ॥ ४॥ अन्नो भणइ-जच्चाण नवकिसोराण तदिवसे जायमेत्ताण । केसेहि नहं छाएमि Bाएत्यवि ता मे होलं वाएहि ॥५॥ अन्नो भणइ, दो मज्झ अस्थि रयणाणि सालिपसूई अ गद्दभिआ य । छिण्णा छिण्णा
रुहइएत्यवि ता मे होलं वाएहि ॥६॥ अन्नो भणइ-सइ सुकिलनिच्चसुगंधो भज अणुबय नत्थि पवासो। निरिणो दुपंचस-18/0५३२॥ इतो, एत्थवि ता मे होलं वाएहि ॥७॥ एवं नाऊण रयणाणि मग्गियाणि, सालीणं कोडागाराणि भरियाणि, आसा एगदिवसजाया मग्गिया, एगदिवसिय नवणीयं मग्गिय, एसा पारिणामिया चाणकस्स बुद्धी॥ धूलभदसामिस्स पारिणा
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