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________________ RESUSMASHARA जाणियं-जोग्गो, नएस विप्परिणमइत्ति, पच्छा चंदगुत्तो छुहाइतो, चाणको तं ठवित्ता भत्तस्स अतिगतो, बीहेड य-मा एत्य नजेजामो, डोंडस्स वाहिं निग्गयस्स पोर्ट्स अप्फुरियं दिटुं, सो पुच्छिओ-कत्थ भोयणं लम्भति ?, तेण भणियं-अमुगत्य, इयाणि चेव दहिकर जिमिय आगतो, ततोऽणेण तस्स छुरियाए पोमु फालियं, दधिकरं गहाय आगतो, जिमितो दारगो, अन्नया अन्नत्य गामे रत्तिं समुदाणेइ, थेरीए पुत्तभंडाणं वेवली परिवेसिया, एकेण मझें हत्यो छूढो, दद्धो रोयति, ताए भण्णइ-तुमं चाणक्कमंगलो, पढमं चेव हत्थं मज्झे छुहसि, पढमं पासाणि धिप्पंति, पच्छा मज्झभागो, चाणकस्स उवगयं, गतो हिमवंतकूडं, तत्थ पञ्चयगो राया, तेण समं मित्तया जाया, भणइ-नंदं ओयवित्ता समं समेण रजं विभजामो, चलिया, देसं लूडंता एंति, एगत्थ नगरं न पडइ, पविट्ठो तिदंडी चाणको, वत्थूणि जोएइ, इंदकुमारियातो दिट्ठातो, तासिंतणएण पभावेण न पडइ, नियडीए नीयावियातो,पडियं नगरं, गया, पाडलिपुत्तं रोहियं, नंदो धम्मवारं मग्गइ, चाणकेण भणियं६ एगेण रहेण जं तरसि तं नीणेहि, दो भजातो एगं कण्णगं दवं च नीणेइ, कन्ना चंदगुत्तं पलोएइ, भणिया-जाहित्ति,131 तीए चंदगुत्तरहं विलग्गंतीए नव अरगा रहस्स भग्गा, चंदगुत्तेण वारिया, चाणको भणइ-मा वारेह, नव पुरिसजुगाणि तव वंसो होइ, अतिगदो, दो भागीकयं रजं ॥एगा कण्णगा, कयगविसभाविया, तत्थ पवयगस्स इच्छा जाया, सा तस्स दिन्ना, अग्गिपरियंचणे विसपरिगतो मरिउमारद्धो, भणइ-वयंस! मरिजइ, चंदगुत्तो विसं रंभामित्ति ववसितो, चाणकेण | मिउडी कया, नियत्तो, स मतो, दोवि रजाणि तस्स जायाणि ॥ नंदमणूसा चोरियाए जीवंति, ततो चाणको चोरग्गाह मग्गइ, अण्णया बाहिरियाए गतो, तत्य एगस्स नलदामस्स पुत्तो मक्कोडएण खइतो, तेण आरडियं, पहाविओ नलदामो, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600045
Book TitleAvashyakasutram Part_3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages312
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
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