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________________ ACCORORSCORRECHAR सोयरिएसु मग्गियं, न लद्धं, डिंभरुवं मारियं, सुसंगियं, राया जिमिउमारद्धो, अतीव रुचिरं, राया पुच्छइ-कस्स एरिसं| * मंसं,न कहइ, निबंधे कहियं, पुरिसा दिन्ना, मारेहत्ति, नगरेण नातो, भिच्चेहि य रक्खसोत्तिमहं पाएत्ता अडवीए मुक्को, चच्चरे ठितो, धयं गहाय दिणे दिणे माणुसं मारेइ, केई भणंति-विरहे जणं मारेइ, अन्नया तस्संतेण सत्यो जाइ, तेण सुत्तेण | नवेइतो, साहू प आवस्सयं करेंता सत्यातो फिडिया, ते दहण पिट्ठतो लग्गो, तवेण न सकेइ अक्कमिड, चिंतेइ-अहो महप्पहावा अमी साहू, संविग्गो, धम्मकहणं, पवजा । अन्ने भणंति-सो भणइ वच्चंते-ठाह, साहू भणति-अम्हे ठिया, तुम चेव ठाहि, चिंतेइ, साइसया आयरिया ओहिनाणी, केत्तिया एवं होहिंति, एवं दुक्खाय जिभिदियं ॥ | फासिंदिए उदाहरणं-वसंतउरे नयरे जियसत्तू राया, सुकुमालिया भन्जा, तीसे अतीव सुकुमालो फासो, राया रज न चिंतेइ, सो ताए निच्चमेव परिभुजमाणो अच्छइ, एवं कालो वच्चइ, मिच्चेहिं समं मंतिऊण तीए सह निच्छूढो, पुत्तो से रजे ठविओ, ते अडवीए वच्चंति, तिसाइया जलं मग्गइ, अच्छीणि से बद्धाणि, मा बीहेहित्ति, सिरारुहिरं पजिया, * है रुहिरे मूलिया छूढा जेण न थिजइ, छुहाइया, ऊरुमंसं दिन्नं, ऊरुमंसं रोहिणीए रोहियं, जणवयं पत्ताणि, आभरगाणि साचवियाणि, एगत्थ वाणियत्तं करेइ, पंगू य से वीहीए गोवगो घडितो, सा भणइ-न सक्कुणोमि एगागिणी गिहे चिट्ठिउं / विजयं लभाहि । चिंतियं च णेण-निरवाओ पंगू सोभणो य, ततोऽणेण सो निडुवालो निउत्तो, तेण गीयच्छलियक-1* है हाईहिं आवजिया, पच्छा सा तस्सेव लग्गा, भत्तारस्स छिद्दाणि मग्गइ, जाहे न लहइ ताहे उजाणियाए गता, सो| वीसत्यो बहुं मजं पाएता गंगाए पक्खियो, सावि तं दबं खाइऊण तं वहइ, गायति य घरे घरे, पुच्छिया भणइ-माया SARALIAN Atc. Jain Education Inter For Private & Personal use only R w .jainelibrary.org
SR No.600045
Book TitleAvashyakasutram Part_3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages312
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
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