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________________ श्रीआव- ताहे तस्स सगासे दस पुषाणि पढियाणि, तो अणुण्णानिमित्तं जहिं चेव उइट्ठो तहिं चेव अणुजाणियवोत्ति दसपुरमागया, श्रीवज्रवृत्तं श्यक मल- तत्थ अणुण्णा आरद्धा, नवरि देवेहि अणुण्णा उवढविया, दिवाणि पुष्पाणि चुण्णाणि से उवणीयाणि । अमुमेवार्थ ट्र य. वृत्तो चेतस्यारोप्य ग्रन्धकृदाहउपोद्घात 31 जस्स अणुन्नाए वायगत्तणे दसपुरम्मि नयरम्मि । देवेहिं कया महिमा पयाणुसारिं नमसामि ॥७६७॥ यस्य समनुज्ञात वाचकत्वे-आचार्यत्वे दशपुरे नगरे देवर्ज़म्भकैः कृता महिमा-पूजातं वज्रर्षि पदानुसारिणं नमस्यामि। ॥३८९॥ अण्णया सीहगिरी वइरस्स गणं दाऊण भत्तं पञ्चक्खाइय देवलोगं गतो, वइरसामीवि पंचहिं अणगारसएहिं संपरिवुडो विहरइ, जत्थ २ वच्चइ तत्थ २ ओरालकित्तिवन्नसद्दापरिभमंति-अहो भयवं भवियजणविवोहणं करेंतो विहरह। इतो यपाटलिपुत्ते नयरे धणो सेट्ठी, तस्स धूया अतीव रूववती, तस्स य जाणसालाए साहुणीओ ठियातो, तातो पुण वइरस्स गुणसंथवं करेंति, सहावेण य कामियकामतो लोओ, सिद्विधूया चिंतेइ-जइ सो मम पती होज्जा ताऽहं भोगे भुंजिस्सं, इयरहा अलं भोगेहिं, वरगा एंति, सा पसेहावेइ, ताहे साहिति पवइयाओ-न परिणेइ, सा भणइ-जह न परिणेइ अहंपि पवज गेण्हिस्स, भयवंपि विहरतो पाडलिपुत्तमागतो, तत्थ राया सपरिजणो अम्मोगइयाए निग्गतो, ते पबह कायगा फड्डगेहिं एंति, तत्थ बहवे जोरालियसरीरा, राया पुच्छइ-इमो भयवं वइरसामी, ते भणंति-न भवइ इमो, ॥३८९॥ किंतु तस्स सीसो, जाव अपच्छिम वंद, तत्थ पविरलसाहुसहिओ दिहो, आयरियाण पडिरूवो, राया पाएसु पडितो, ताहे उजाणे ठिया, धम्मो कहितो, खीरासवलद्धी भय, राबा इयहियतो कतो, अंतेउरे साहति, वाओ भणंति-अम्हेवि | CARRORECALCS Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600044
Book TitleAvashyakasutram Part_2
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
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