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प्रयोदात- धम्मजिणाओ संती तिहि उ तिचउभागपलियऊणेहि । अपरेहिं समुप्पन्नो पलियदेणं तु कुंथुजिणो ॥१३॥ जिनान्त
पलियचउम्भाएणं कोडीसहस्सूणएण वासाणं । कुंथूओ अरनामा कोडिसहस्सेण मल्लिजिणो ॥१४॥ राषि ॥२४॥
मल्लिजिणाओ मुणिमुबओवि चउप्पन्न वासलक्खेहिं । सुब्बयनामाउ नमी लक्खेहि छहि उ उप्पलो ॥१९॥॥ पंचहि लक्खेहिं तमो अरिहनेमी जिणो समुप्पन्नो । तेसीई सहस्सेहिं सबहिं अट्ठमेहिं च ॥१६॥
नेमीओ पासजिणो पासजिणाओ य होइ वीरजिणो । अट्ठाइजसएहिं गएहिं चरिमो समुप्पन्नो ॥१७॥ है। सभा कोडिलक्ख ५०, अजियाओ कोडिलक्ख ३०, संभवा कोडिलक्ख १०, अभिनंदणा कोडिलक्स ९, सुमति
ओ कोडीणाईसहस्सेहिं ९०, परमपभा कोडीण नवसहस्सेहिं ९ सुपासा कोडीनवसएहिं ९००, चंदप्पभा कोडीओ पाणवती ९०, पुष्पदंता कोडीउणवहि उ ९, सीयला कोडी १ उणा १०० सागर० ६६२६००० वरिसाई, सेजसा सागरो
पम ५४, वासुपुजा तीस सागराई ३० विमला सागरोवमाई ९, अणंता सागरोवमाई ४, धम्मा सागरोवमाई ३ ऊगाइ पलियचरम्भागेहिं संतिओ पलियद्धं, कुंथुओ पलियचउन्माओ ऊणाओ वासकोडीसहस्सेणं १, अरा पासकोडी, सहस्सं १, मल्लिओ वरिसलक्खचउप्पन्ना ५४, मुणिसुत्रया वरिसलक्ख ६, नमीओ परिसलक्ख ५, अरिहनेमियो
॥२४॥ परिससहस्स ८१७५०, पासा वाससयाई २५० वद्धमाणो जिणंतराइं॥ साम्प्रतं चक्रवर्जिनोऽधिकृत्य जिनान्तराण्येष प्रतिपाद्यन्ते, नत्र
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