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पतिष्ठा
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पोऽते केवलिने परमयोगिने अनंतविशुद्धिपरिणामपरिस्फुरच्छुकुध्यानाग्निनिदग्ध कप बीजाय प्राशानंत चतुष्टयाय सोम्यान शांताय मंगलाय वरदाय अष्टादशदोषरहिताय स्वाहा ॥ ३४ ॥ इति प्रतिमाया भद्रासने स्थापनमंत्रः ।
नमो
भगवते सद्यः सामायिकप्रपन्नाय कंकणमपनयामि स्वाहा ॥ ३५ ॥ दीक्षास्थापनमंत्रः ।
ह्रीं श्रीं अप्रसिआ उ सा सिद्धाधिपतये नमः। ओं नमो अरहंतायां अई स्वाहा ॥ ३६-३७ ॥ तिलकमंत्रौ । कम्मको तिलोयपुज्जो य संयुवो भयवं ।
अमरण रामहिय अगणाहि हिणासि बंदिसयो । खाहा ॥ ३८ ॥ इति श्रीमुखोद्घाटनमंत्रः ।
ओं णमो अरिहंताणं णाणदंसया चक्खुमयाणं अमियरसायां विमल नेयाणं संति तुटिन पुट्ठि वरद सम्पादिट्ठोखं वं मं अमर वरसों स्वाहा ॥ ३८ ॥ इति नेत्रोन्मीलनमंत्रः । अथ सूरिमंत्रः ।
ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं इसकूं आदि देव केवल पण तो बम्म सरणं पव्यजामि इहां ताई पाठके अग्र कों ह्रीं स्वाहा येह-पल्लव संयुक्त एक मंत्र है ॥ १ ॥
ॐ ह्रीं श्रहं नमः ये षङअत्तर मंत्र है ॥ २ ॥
३ ॥
हो नमः । येह तोर्यकरमंत्र है । इत्यादि मूतने नयोजन मंत्र पर्यंत अपनो अपनो क्रियाके योग्य मंत्र हैं । अव पूजा मंत्र गद्यात्मक मंत्र हैं। मंत्र का अर्थ लिखना आवश्यगण निवेत्र किया है, ता जय मात्र हो प्रशस्त है।
ॐ ह्रीं श्री नमः येह पंचाक्षर मंत्र है ॥ ॐ ह्री ऋषभाजितादि वर्द्धमानांतेभ्यो
अथ पूजामंत्राः ।
नीरजसे नमः ॥ १ ॥ दर्पमथनाय नमः ॥ २ ॥ शील गंवाय नमः ॥ ३ ॥ अक्षताय नमः ॥ ४ ॥ विपलाय नमः ॥ ५ ॥ श्रुतधूपाय नमः ॥६॥ ज्ञानोद्योताय नमः ॥ ७ ॥ परमसिद्वाय नमः ॥ ८ ॥ सयजाताय नमः ॥ ६ ॥ अज्जाताय नमः ||१०|| परम जाताय नमः || ११|| अनुपमजाताय नमः || १२ || स्वपधानाय नमः || १३|| अचलाय नमः | १४ | अक्षयाय नमः ।। १५ ।। अव्यावाधाय नमः || १६ || अनंतज्ञानाय नमः॥१७॥ अनंतदर्शनाय नमः ॥ १८ ॥ अनंतवीर्याय नमः ॥ १६ ॥ अनंतसुखाय नमः ॥ २० ॥ नोरजसे नमः ॥२१॥ निर्मलाय नमः ॥ २२ ॥ श्रच्छेद्यान नमः ॥ २३ ॥ प्रभेयाय नमः ॥ २४ ॥ अजरामराय नमः ॥ २५ ॥ अमराय नमः || २६ ।। अप्रमेयाय नमः ॥ २७ ॥ अगर्भवासाय नमः ॥ २८ ॥
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