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श्रीजिनाय नमः ।
॥ वैराग्य शतक॥
(मूल, मूलार्थ, शब्दार्थ अने भावार्थ सहित) खरतरगच्छीय श्रीमान् शांतमूर्ति मोहनलालाजी महाराजश्रीनाप्रशिष्य गणि रत्नमुनिजी महाराजश्रीना सदुपदेशथी कच्छभुज निवासी शा. नानचंद खेंगारना मातुश्री डाहीबाइना स्मरणार्थे
- छपावी प्रकाशक :
मुंबइ जिनदत्तनूरि ज्ञानभंडार झवेरी मुलचंद हिराचंद भगत ( पायधुनी, महावीरस्वामी देरासर ) वीर सं. २४६२
सने १९३६
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मुद्रकः-श्रीजनभास्करोदय प्रेस-जामनगर. FORIER R IERRORREARRIERGROCERONICRORIAL
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