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साधुसाध्वी हूँ दंडा अपने अपने खंधेतक पहुंचे जितना लंबा होना चाहिये ।
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( २ - साध्वी के २५ उपकरण )
साध्विओंके औधिक उपकरण पचीस होते हैं, उनमेंसे चोलपट्टा छोडके बाकी १३ उपकरणतो साधुओंके समानही साध्विओं को भी रखनेकेहैं, चउदहमा उपकरण कमढक नामका होता है, जो कि कांसेकी बडी कटोरी ( तासली) के आकार जैसा तुबेका होता है, और वह एक एक साध्वीके एक एक होता है, उसीमें साध्वीयां आहार -पाणी करती हैं । इनके सिवाय ग्यारह उपकरण इस मुजबहैं- १५ अवग्रहानंतक - गुह्यप्रदेशको ढांकनेका एक कपडा जो पोतमें गडवार और स्पर्शमें मुलायम हो, वह शीलवतकी रक्षा के वास्ते रखा जा ताहै, इसका आकार जहाज ( वाहण ) की तरह दोनों छेडोंपर सांकडा और बीचमें चौडा होता है, यह लंगो - |टकी तरह बांधा जाता है । १६ पट्टक - चार अंगुल अथवा कुच्छ अधिक चौडा और अपनी कमर के अनुसार लंबा कपडेका चीरा होता है, उसके एक छेडे पर नाकी और दूसरे छेडे पर बोर लगा रहता है, जिससे वह पन्द्रहवें | उपकरण अवग्रहानंतकके आगले तथा पिछले दोनों छेडे दबाकर कमरमें बांधा जाता है । १७ उरुकार्ध -
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