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________________ साधुसाध्वी C ARE आवश्यकीय-विचार संग्रहः आवश्य कीय विचार १-काउस्सग्ग-दोष-विचार संग्रहः काउस्सग्ग के उगणीस (१९) दोष इस मुजब हैं-घोडेकी तरह आगे पीछे पैर रखकर खडा रहे| वह 'घोटक' दोष १, पवन (वायरे)से हिलती हुइ लता (वेलडी) की तरह शरीर हिलावे वह 'लता'18 दोष २, थंभेके या भीतके सहारे से (ओठा लेकर) खडा रहे वह 'स्तंभ कुड्य' दोष ३, उपर छत वगैरह 8 के मस्तक अडाकर खडा रहे वह 'माल' दोष ४, जैसे कपडे रहित शबरि (भीलडी) दोनों हाथों से अपने है, लज्जनीय अंगको ढांकती है वैसे गुह्य (नाभि से नीचेके ) स्थान पर हाथ रखकर खडा रहे वह 'शबरि दोष ५, कलवान स्त्री की तरह मस्तक को अत्यंत नीचा नमा कर खडा रहे वह वधु' दोष (१) ६. दोनों पैर चौडे रखकर या ता भेले करके खडा रहे वह 'निगड' दोष ७, नाभिसे उपर और गोडों से नीचा चोल SEARSEX १-पगों के अंगूठे का अगला भाग देखसके वैसे नाक उपर नजर लगाकर काउस्सग्ग में खड़ा रहे। Jain Education Intel 2010_05 For Private & Personal use only fww.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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