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________________ जैन श्री हिन्दी जैनागम प्रकाशक सुमति कार्यालय जैन प्रेस कोटा का ॥४॥ १-पन्द्रह हजार रुपये सहायता फण्ड में इकट्ठे करके सरल और सुन्दर हिन्दी भाषा में सूत्रों को तथा विशेष उपयोगी ग्रन्थों 15 को प्रकाशित करवाकर हिन्दी भाषी साधु साध्वी ज्ञानभण्डार पुस्तकालय तथा श्री संघ को अल्प मूल्य में या बिल्कुल अमूल्य भेट 3 स्वरूप देने के लिये भगवान् की वाणी का प्रचार करना । | २-दो चार लाख की या मासिक अच्छी आमदनी की बड़ी योजना करके उसके द्वारा हिंदी अंग्रेजी आदि भाषाओं में || जैन सिद्धांतों के तस्य ज्ञान की तथा तमाम जैन उपदेशकों के सार गर्भित मर्मग्राही भाषणों की छोटी छोटी हज़ारों की संख्या में | पुस्तकें प्रकाशित करवाकर भारत वर्ष के तमाम धर्मों की पब्लिक संस्थाओं में और विद्वान् समाज में उनका प्रचार करना जिससे ४ है जैनधर्म का प्रचार हो और लाखों जीवों को अभयदान मिले । ३-प्रेस की बचत ज्ञान प्रचार, स्वधर्मियों को सहायता और जीवदया आदि परोपकार में खर्च होगा । इसलिये सर्व | संघ से प्रार्थना है कि-अपनी २ छपाई का काम यहां पर भेजने की कृपा करें। श्री हिन्दी जैनागम प्रकाशक सुमति कार्यालय. जैन प्रेस, कोटा (राजपूताना) 5543-135937 Jain Education Interne 010_05 For Private & Personal use only w.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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