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________________ साधुसाध्वी ॥३॥ संग्रहः प्रस्तावना इस संग्रहमें से 'साधु साध्वियोंकी अंतिम आराधना विधि तथा अंतक्रिया विधि' करीब ३ वर्ष पहले प्रकाशित होचुकी थी। आवश्यऔर महोपाध्यायजी श्रीसुमतिसागरजी महाराज के उपदेश से 'हिंदी जैनागम प्रकाशक सुमति कार्यालय की तरफ से शेष बचे हुवे संपूर्ण कीय विधि संग्रहको अब प्रकाशित किया है यह उनका प्रयास बहुत ही प्रशसनीय है अतः मैं उनको पुनः पुनः धन्यवाद देताहूं। __अंतमें मेरी मतिमन्दता या बुद्धि विपर्यासके कारण कुछ भी विधि विपरीत लिखा गया हो अथवा प्रेसकी गफलतसे कोइ भूल 8 रही हो उसके लिए विधिशास्त्रज्ञोंसे सुधारके पढनेकी प्रार्थना पूर्वक मैं मिथ्यादुष्कृत देता हुआ विरमता हूं। इस ग्रन्थ की विषयानुक्रमणिका ग्रन्थ के अन्त में दी गई है वहां से पढलेना । वि० सं० १९९३, श्रावण शु० ३. पायधुनि, । लि० अनुयोगाचार्य पंन्यास प्रवर श्रीमत्केशरमुनिजी गणि शरण किंकर || श्रीमहावीर स्वामी का मंदिर-उपाश्रय, मुंबई. मुनि-बुद्धिसागर. _कल्पसूत्र अल्प मूल्य २) दशवैकालिक मूल भावार्थ १) विपाकसूत्र मूल अर्थ और टीकार्थ सहित २) पर्वकथा संग्रह साधु-भावक आराधना सहित १) अंतगडदशा तथा अनुत्तरोववाइ भेट और ज्ञाताजी, उववाई, उपासकदशा आदि छपरहे हैं मिलने का ठिकाना-जैन प्रेस, कोटा (राजपूतान) क __JainEducation Interoll 2010_05 For Private & Personal Use Only l www.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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