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________________ साधुसाध्वी ॥११३॥ उपर मरण सूतक १ दिन अधिक मानना, यदि ऐसा न माना जाय तो सात या आठ महिनेके गर्भ आवश्यगिरनेका सूतक तो ७-८ दिन मानना और गर्भस्थिति पूरी होके जन्मे हुए बच्चे के मरणका सूतक एक दिनका कीय विचार ही मानना कैसे संभव हो सके ?, कदापि नहीं, इसलिए जन्म सूतकके उपरांत १ दिन मरण सूतकका संग्रह अधिक मानना ही योग्य मालूम होताहै, इससे पांच छ महीनेका बालक हो या ज्यादा कम चाहे जितनी अवस्थाका हो, अपने घरके मनुष्यका मरण जिस घरमें हुआ हो उस घरमें १२ दिनका सूतक अवश्य ।। मानना चाहिए। ॥ ४-अपनी निश्रामें रहे हुए दासी आदिके पुत्रादिका जन्म या मरण तथा परदेशी साधर्मी जाति । भाईका मरण अपने घरमें होवे तो तीन दिन सूतक । ५-गाय भैस आदि पशु घरमें व्यावे तो एक दिन सूतक, बाहर व्यावे तो कुछ नहीं। ६--पशुका मरण होने पर कलेवर घरसे बाहर लेजाय वहां तक सूतक, बाद में नहीं। ७-स्त्रीके गर्भ जितने मासका गिरे उतने दिन सूतक । ॥११३॥ _ Jain Education intel 2010_05 For Private & Personal use only T www.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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