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________________ साधुसाध्वी अंतमें यानि सवेर होनेके समयमें ग्रहण लगके ग्रहण सहितही चंद्रमा अस्त होवे तो जघन्य आठ आवश्यपहोर असज्झाय। कीय विचार भावी उत्पात सूचक ग्रहण युक्त चन्द्रमा उदय होकर सारी रात ग्रहण सहित रहे और सवेरे 1 संग्रहः ग्रहण सहित ही अस्त होजाय, अथवा 'आज पूनमको चन्द्रग्रहण होनेवालाहै ' ऐसी तो खबर होवे || परंतु किस समय होवेगा ? इसकी खबर नहीं होवे और बादलोंके कारण चन्द्रमा भी देखनेमें न आवे | इससे उस रातको सज्झाय नहीं करे, अस्तके समय बादले दूर हटनेसे अस्त होता हुआ चन्द्रमा ग्रहण । सहित देखनेमें आवे तो उस रातको शामिल गिनने पर ४ पहोर तो ग्रहणवाली रातके और दूसरे दिन तथा । रातके ८ पहोर ये दोनों मिलाकर १२ पहोरका उत्कृष्ट असज्झाय चन्द्र ग्रहणका है । आठ तथा १२ पहोर के बीचका मध्यम असज्झाय, अर्थात् - ग्रहण रहित उदय हुआ चंद्रमा यदि ग्रहण सहित अस्त होवे | तो जिस समय ग्रहण शुरु होवे उस समय से लगाके दूसरे दिन तथा रातकी समाप्ति तक असज्झाय, 3॥९७॥ यदि कुच्छ रात्रि जानेके बाद ग्रहण शुरु होवे और घडी दो घडी रहकर रातमें ही छूट जाय तो उस XNXXRAPXXXXXB1-1-14XAE ___JainEducation inter 2010_05 For Private Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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