________________
प.आ. श्री. विजय राभसूरीश्वरजी जैन ग्रंथमाला गंथाक २६
HARNनि
नमति लांना
।। श्री विजयलक्ष्मीसूरिविरचितः। । उपदेशप्रासादः।
H
SAR
ONOUSGS200
। प्रथमो विजागः।
(प्रथमस्तंभषट्कम् ) प्रेरक
प्रकाशक परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद
आचार्य श्री सुरेन्द्रसूरीश्वरजी विजयरामसूरीश्वरजी महाराज
जैन तत्वज्ञानशाला. झवेरीवाड, साहेब (डहेलावाला)
पटजीनी खडकी,अहमदाबाद-३८0004 वीर संवन् २५१४ विक्रम संवत् २०४४
सन् १९८८
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org